Saturday, March 22, 2025

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समुद्र का स्तर बढ़ने से तटीय शहरों पर मंडरा रहा खतरा

नासा के एक नए अध्ययन में समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी के कारण तटीय क्षेत्रों के लिए गंभीर खतरे का खुलासा हुआ है। आमतौर पर ग्लेशियरों के पिघलने और जलवायु परिवर्तन को समुद्र के जल स्तर में वृद्धि का मुख्य कारण माना जाता रहा है, लेकिन इस अध्ययन से पता चला है कि कुछ स्थानों पर भूमि भी तेजी से धंस रही है। कई मामलों में समुद्र का पानी बढ़ने की तुलना में जमीन ज्यादा तेजी से धंस रही है। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुआ है। नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के नेतृत्व में हुए इस शोध में 2015 से 2023 के बीच कैलिफोर्निया तट पर भूमि की ऊंचाई में हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया गया। उपग्रह के आंकड़ों का इस्तेमाल कर वैज्ञानिकों ने उन क्षेत्रों की पहचान की है, जहां जमीन खतरनाक गति से धंस रही है। इससे तटीय शहरों में अपेक्षा से कहीं पहले बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। भूमि का यह धंसाव सिर्फ प्राकृतिक टेक्टोनिक बदलावों के कारण नहीं हो रहा, बल्कि इसके लिए इंसानी गतिविधियां भी जिम्मेदार हैं। भूजल का अत्यधिक दोहन, तेल और गैस की ड्रिलिंग और तेजी से बढ़ता शहरीकरण इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं।  अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, कई क्षेत्रों में भूमि हर साल 10 मिमी से अधिक की गति से धंस रही है। सैन फ्रांसिस्को खाड़ी जैसे इलाकों में जहां भूमि सिकुड़ रही है, वहां 2050 तक समुद्र स्तर 45 सेंटीमीटर से अधिक बढ़ सकता है, जो पहले के अनुमानों से दोगुना है। यह अध्ययन भविष्य में बाढ़ के खतरे का सटीक अनुमान लगाने के लिए भूमि की गति को ध्यान में रखने की आवश्यकता बताता है।

शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे स्थान भी पहचाने हैं, जहां भूमि ऊपर उठ रही है। उदाहरण के लिए सांता बारबरा और लांग बीच में भूमि ऊपर उठ रही है। लेकिन, ये बदलाव अत्यधिक स्थानीय और अप्रत्याशित होते हैं जिससे इन्हें जलवायु परिवर्तन के बड़े मॉडल में शामिल करना मुश्किल हो जाता है।

 

 

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