संविधान दिवस के अवसर पर संसद भवन में सोमवार को एक भव्य और गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस समारोह का नेतृत्व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया, जिन्होंने उपस्थित नेताओं, सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ मिलकर संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया। पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों और जनप्रतिनिधियों में संविधान के प्रति सम्मान, जागरूकता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराना था।
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा को याद करते हुए कहा कि भारत का संविधान देश की विविधता को एक सूत्र में पिरोता है और समानता, स्वतंत्रता तथा न्याय जैसे मूल सिद्धांतों को मजबूत आधार प्रदान करता है। उन्होंने संदेश दिया कि संविधान का पालन केवल सरकारी संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक की नैतिक और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी भी है।
समारोह में उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री भी मौजूद रहे। सभी ने सामूहिक रूप से संविधान निर्माताओं को याद किया और लोकतांत्रिक व्यवस्था को और मजबूत बनाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर संसद के दोनों सदनों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ाने, इसके मूल तत्वों को समझने और उनके संरक्षण पर जोर दिया गया।
संविधान दिवस समारोह ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि भारत के लोकतंत्र की शक्ति उसके संविधान में निहित है और इसके संरक्षण तथा सम्मान में ही देश की प्रगति और स्थिरता का भविष्य सुरक्षित है।





