काहिरा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सोमवार को मिस्र की संसद में ऐतिहासिक स्वागत हुआ। जैसे ही ट्रंप सदन में पहुंचे, सांसदों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया और पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। ट्रंप ने अपने संबोधन में शांति, स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों पर जोर दिया। वहीं, मिस्र के संसद अध्यक्ष ने कहा कि ट्रंप की शांति प्रयासों के लिए नोबेल पुरस्कार की दावेदारी का वे औपचारिक समर्थन करेंगे।
सदन में उमड़ा अभूतपूर्व उत्साह
ट्रंप के प्रवेश करते ही सांसदों ने ‘वेलकम मिस्टर प्रेसिडेंट’ के नारे लगाए। कई सांसदों ने अमेरिकी और मिस्री झंडे लहराए। पूरा सदन करीब दो मिनट तक लगातार तालियां बजाता रहा। यह किसी विदेशी नेता के सम्मान में मिस्र की संसद में हुआ सबसे भव्य स्वागत माना जा रहा है।
ट्रंप बोले— “शांति के लिए मिलकर करें काम”
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि “मध्य पूर्व में स्थायी शांति तभी संभव है जब सभी देश एकजुट होकर आतंकवाद, नफरत और अस्थिरता के खिलाफ खड़े हों।” उन्होंने गाजा संघर्ष में अपनी मध्यस्थता का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका की प्राथमिकता “रक्तपात रोकना और संवाद बहाल करना” है।
ट्रंप ने मिस्र को “शांति और स्थिरता का स्तंभ” बताया और कहा कि “आपका देश न केवल अफ्रीका बल्कि पूरे मध्य पूर्व के लिए नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है।” उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी जताई।
स्पीकर ने की नोबेल समर्थन की घोषणा
मिस्र के संसद अध्यक्ष हाना अब्देल रहमान ने अपने वक्तव्य में कहा कि “राष्ट्रपति ट्रंप ने जिस तरह संघर्षरत पक्षों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है, वह विश्व शांति की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। हम मिस्र की संसद की ओर से उनके नाम को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए समर्थन देने की घोषणा करते हैं।”
उनकी इस घोषणा पर सदन में फिर से जोरदार तालियां गूंज उठीं। सांसदों ने खड़े होकर राष्ट्रपति ट्रंप का अभिनंदन किया।
राजनयिक महत्व का दौरा
विशेषज्ञों के अनुसार, यह दौरा अमेरिका और मिस्र के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंधों का संकेत है। यह भी माना जा रहा है कि ट्रंप का यह संबोधन मध्य पूर्व शांति शिखर सम्मेलन से पहले राजनयिक संदेश देने की दिशा में एक अहम कदम है।





