न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और उसकी आत्मघाती शाखा मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी संगठन घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन और पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। अमेरिका ने इस प्रस्ताव पर वीटो का प्रयोग करते हुए इसे रोक दिया।
प्रस्ताव और विरोध
पाकिस्तान और चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव पेश किया था कि बीएलए और मजीद ब्रिगेड को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए। उनका तर्क था कि ये संगठन न केवल पाकिस्तान में, बल्कि सीमा पार गतिविधियों के जरिए क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डालते हैं।
हालांकि, अमेरिका ने वीटो के जरिए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि प्रस्ताव में पर्याप्त प्रमाण और ठोस सबूत नहीं हैं कि इन समूहों के क्रियाकलाप सीधे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। अमेरिका ने इसे संतुलन बनाने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी कदम बताया।
पाकिस्तान और चीन की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान और चीन ने वीटो के फैसले को निराशाजनक बताया है। वे यह मानते हैं कि इन समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई न करने से आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा।
राजनीतिक और सुरक्षा असर
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका का वीटो पाकिस्तान और चीन के लिए राजनीतिक चुनौती के रूप में सामने आया है। वहीं, दक्षिण एशिया में सुरक्षा समीकरण पर भी इसका असर पड़ सकता है। अमेरिका की यह कार्रवाई यह संकेत देती है कि वह किसी भी प्रस्ताव को तभी समर्थन देगा जब उसके पास पर्याप्त ठोस और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सबूत हों।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका
भारत ने लंबे समय से बीएलए और अन्य आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों पर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया है। अमेरिका का वीटो हालांकि फिलहाल प्रस्ताव को रोकता है, लेकिन भारत ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मामले को लगातार उठाता रहेगा और आतंकवाद से जुड़े सभी पहलुओं को सामने लाएगा।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका का वीटो दक्षिण एशिया में शक्तियों के बीच संतुलन का संकेत है। वहीं, पाकिस्तान और चीन की कोशिशें बीएलए और मजीद ब्रिगेड को वैश्विक स्तर पर आतंकवादी संगठन घोषित कराने की, फिलहाल सफल नहीं हो सकीं।





