संयुक्त राष्ट्र के एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में प्रवासी प्रजातियों को गंभीर खतरा है। यदि सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो 22 फीसदी प्रवासी प्रजातियां शीघ्र ही विलुप्त हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, 44 फीसदी प्रवासी प्रजातियों की आबादी में कमी आ रही है, जबकि कुछ में वृद्धि भी हुई है। इस रिसर्च के अनुसार, 97 फीसदी मछलियों के विलुप्त होने का खतरा है।
इस रिपोर्ट में, पिछले 30 वर्षों में 70 प्रवासी प्रजातियों का संरक्षण का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। इसमें स्टेपी ईगल, मिस्र का गिद्ध और जंगली ऊंट शामिल हैं। इस अवधि के दौरान, केवल 14 प्रजातियों की स्थिति में सुधार हुआ है। इनमें नीली और हंपबैक व्हेल, सफेद पूंछ वाली समुद्री उकाब और काले चेहरे वाली स्पूनबिल शामिल हैं।
विलुप्त होने के खतरे में अन्य 399 प्रजातियां भी हैं, जो कि सीएमएस सूची में शामिल नहीं हैं। इनमें मुख्य रूप से पक्षी और मछलियों की प्रजातियां हैं। सीएमएस संयुक्त राष्ट्र की एक पर्यावरण संधि है, जो प्रवासी जानवरों और उनके आवास के संरक्षण के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करती है। इसमें दुनिया भर की प्रवासी प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है।