Tuesday, July 15, 2025

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‘शिवसेना में अंदरूनी कलह के कारण पड़ी फूट

महाराष्ट्र में चल रही भाषा की लड़ाई के बीच संजय राउत के देवेंद्र फडणवीस को लेकर दिए गए एक बयान पर भी सियासी विवाद खड़ा हो गया है। संजय राउत ने महाराष्ट्र में राजनीतिक पुनर्गठन में फडणवीस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए निशाना साधा था। जिसे लेकर अब भाजपा एमएलसी परिणय फुके ने संजय राउत को आईना दिखाया है। उन्होंने कहा कि शिवसेना में विभाजन अंदरूनी कलह के कारण हुआ, इसके लिए फडणवीस को दोष देना ठीक नहीं हैं।

भाजपा नेता परिणय फुके ने यह भी कहा कि 2022 में शिवसेना के विभाजन का कारण उसके अपने नेतृत्व के प्रति असंतोष और घरेलू विवाद थे। इसके लिए किसी और को दोष देना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना में नेतृत्व की शैली के कारण उसके नेताओं में असंतोष पैदा हुआ। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुआ विद्रोह उनके और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ किए गए व्यवहार का परिणाम था।

आरोपों का जवाब देते हुए फुके ने कहा कि सच्चाई यह है कि संजय राउत जैसे नेताओं ने अपनी ही पार्टी के भीतर घुटन भरा माहौल बना दिया है। यह उनका व्यवहार ही था जिसने शिंदे जैसे वफादार नेताओं को टूटने के कगार पर पहुंचा दिया। दूसरों को देशद्रोही कहने वालों को अपने आचरण पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभाजन को भड़काने में फडणवीस की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा कि भाजपा पर उंगली उठाना आसान है, लेकिन इसका असली कारण (अविभाजित) शिवसेना के नेतृत्व और घरेलू विवाद हैं।

हिंदी भाषा को लेकर छिड़े विवाद के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा है। उन्होंने महाराष्ट्र में राजनीतिक पुनर्गठन में फडणवीस की भूमिका पर सवाल उठाया था। साथ ही पूछा था कि पार्टियों को तोड़ने के अलावा, फडणवीस ने क्या अच्छा किया है?

सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने धन, धमकी, ईडी, सीबीआई और चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर शिवसेना और एनसीपी का बंटवारा कर दिया। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भारत में आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तान का हाथ होने का पता लगाने में विफल रही है।

राउत ने दावा किया कि पिछले तीन महीनों में महाराष्ट्र में 1,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली। क्या प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी है? सरकार अहमदाबाद विमान दुर्घटना पर अपडेट जानकारी ठीक से साझा नहीं कर रही है। दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक को लेकर राउत ने दावा किया कि आरएसएस और भाजपा भाई की तरह हैं। अगर आरएसएस चाहे तो वह भाजपा को सबक सिखा सकता है। आज भाजपा की ताकत आरएसएस कार्यकर्ताओं के प्रयासों के कारण है।

गौरतलब है कि जून 2022 में शिवसेना का विभाजन हुआ था, जब एकनाथ शिंदे और 39 पार्टी विधायकों ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया। उनके विद्रोह के कारण महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी। इसके बाज जिसके बाद एकनाथ शिंदे ने भाजपा से हाथ मिलाकर सरकार बनाई और सूबे के मुख्यमंत्री बने। बाद में जब यह मामला चुनाव आयोग के पास पहुंचा तो आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देते हुए और उसे धनुष-बाण चुनाव निशान का उपयोग करने की अनुमति दी। वहीं ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे को शिवसेना (यूबीटी) नाम और नया चुनाव निशान जलती हुई मशाल आवंटित किया गया।

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