Thursday, November 20, 2025

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वेनेजुएला की दहलीज पर अमेरिकी युद्धपोत और लड़ाकू विमान

कराकस/वॉशिंगटन।
कैरेबियाई क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव एक बार फिर खतरनाक मोड़ लेता दिखाई दे रहा है। वेनेजुएला की समुद्री सीमा के नजदीक अमेरिकी युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की बढ़ती गतिविधियों ने पूरे क्षेत्र में चिंता पैदा कर दी है। अमेरिका का कहना है कि यह तैनाती “क्षेत्रीय सुरक्षा और अवैध गतिविधियों पर निगरानी” का हिस्सा है, जबकि वेनेजुएला इसे अपनी संप्रभुता के खिलाफ सीधी उकसावे की कार्रवाई बता रहा है।

अमेरिकी नौसेना के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि कैरेबियाई सागर के अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में कई उन्नत युद्धपोत और निगरानी विमान तैनात किए गए हैं। इनके साथ इलेक्ट्रॉनिक निगरानी उपकरण और विशेष ऑपरेशन यूनिट भी सक्रिय हैं। अमेरिकी पक्ष का दावा है कि यह कदम क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध हथियार नेटवर्क पर नकेल कसने के उद्देश्य से उठाया गया है।

दूसरी ओर, वेनेजुएला सरकार ने इसे “अमेरिका की आक्रामक सैन्य रणनीति” करार दिया है। कराकस का कहना है कि अमेरिकी नौसैनिक मौजूदगी उसकी सीमा के इतने करीब पहले कभी नहीं देखी गई। राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने राष्ट्रीय प्रसारण में कहा कि वेनेजुएला अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए आवश्यक सारी तैयारी कर रहा है और सेना को सतर्क रहने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका क्षेत्र को अस्थिर कर वेनेजुएला की राजनीतिक व्यवस्था पर दबाव बनाना चाहता है।

क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए लैटिन अमेरिकी देशों ने भी चिंता व्यक्त की है। क्यूबा, निकारागुआ और बोलिविया जैसे देशों ने अमेरिकी तैनाती को “उकसावे की कार्रवाई” बताया, जबकि ब्राजील और कोलंबिया ने सभी पक्षों से संयम बरतने और संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की है। कैरेबियाई समुदाय (CARICOM) ने चेतावनी दी है कि किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना से पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और वेनेजुएला के बीच लंबे समय से चला आ रहा राजनीतिक और आर्थिक तनाव अब सैन्य उपस्थिति के रूप में सतह पर आ गया है। तेल संसाधनों और क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर दोनों देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता पहले से ही कड़ी है। हाल की तैनाती इस टकराव को और गहरा सकती है।

कैरेबियाई क्षेत्र वर्तमान स्थिति को लेकर बेहद सतर्क है। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में अमेरिका अपनी तैनाती और बढ़ाता है या तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक पहल आगे बढ़ती है।

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