रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत ने एक बार फिर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। हाल ही में जारी वैश्विक सूची में दुनिया की शीर्ष-100 हथियार कंपनियों में भारत की तीन प्रमुख कंपनियों का स्थान मिला है। यह उपलब्धि न केवल भारत की बढ़ती रक्षा उत्पादन क्षमता को दर्शाती है, बल्कि सैन्य उपकरणों की वैश्विक मांग में भारत की हिस्सेदारी में हो रही निरंतर वृद्धि की भी पुष्टि करती है।
रिपोर्ट के अनुसार, इन भारतीय कंपनियों ने बीते वर्ष में अपनी आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की है। हथियार प्रणालियों, मिसाइल तकनीक, लड़ाकू उपकरणों और आधुनिक रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति के चलते इन कंपनियों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि निर्यात में आई यह बढ़ोतरी भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों की सफलता का स्पष्ट संकेत है, जिनके तहत रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता दी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, भारत में विकसित हथियार प्रणालियों की प्रतिस्पर्धी कीमत और विश्वसनीय तकनीक ने कई देशों का ध्यान आकर्षित किया है। विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और मध्य-पूर्व के कई देशों ने भारतीय रक्षा उत्पादों को अपनाने में गहरी रुचि दिखाई है। इससे न केवल निर्यात के अवसर बढ़े हैं, बल्कि भारत की रक्षा कंपनियों को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा भी मिली है।
रक्षा उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय कंपनियों का शीर्ष-100 की सूची में शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि भारत तेजी से रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। आधुनिक तकनीक में निवेश, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा और निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी ऐसे कारक हैं, जिन्होंने रक्षा उत्पादन क्षेत्र को गति प्रदान की है।
सरकार ने इस उपलब्धि को देश की रक्षा आत्मनिर्भरता और आधुनिक सैन्य क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले वर्षों में भारत का लक्ष्य रक्षा निर्यात को और बढ़ाना और वैश्विक हथियार बाजार में अपनी हिस्सेदारी को मजबूत करना है।





