नई दिल्ली। कनाडा की वित्त मंत्री अनीता आनंद के हालिया दौरे ने भारत-कनाडा संबंधों में नए व्यापारिक अवसर और रणनीतिक बदलाव की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरे के दौरान दोनों देशों ने व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग के नए ढांचे पर बातचीत की, जिससे द्विपक्षीय आर्थिक रिश्तों में अहम बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
दौरे का मकसद और प्रमुख बैठकें
अनीता आनंद ने अपने दो दिवसीय दौरे में भारत के वित्त मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और उद्योगपतियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस दौरान मुख्य रूप से व्यापारिक समझौतों, निवेश प्रोत्साहन, तकनीकी सहयोग और कस्टम प्रक्रियाओं में सुधार पर चर्चा हुई।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरे से स्पष्ट संकेत मिले हैं कि दोनों देशों को व्यापारिक नीतियों में लचीलापन और पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता है।
कौन से क्षेत्र होंगे प्रमुख
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस दौर में प्रमुख फोकस क्षेत्र होंगे:
- सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल सेवा क्षेत्र: भारत की तकनीकी विशेषज्ञता को कनाडा की डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ने के अवसर।
- कृषि और खाद्य निर्यात: दोनों देशों के किसानों और खाद्य उत्पादकों के बीच व्यापारिक साझेदारी बढ़ाने पर विचार।
- हरित ऊर्जा और टिकाऊ निवेश: जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने की संभावना।
- माइक्रो और लघु उद्योग: SMEs के लिए द्विपक्षीय सहयोग और निवेश को बढ़ावा।
विशेषज्ञों की राय
कनाडा-भारत व्यापार पर नजर रखने वाले अर्थशास्त्री डॉ. विवेक मेहरा का कहना है, “अनीता आनंद का दौरा संकेत देता है कि दोनों देश नए व्यापारिक मॉडल पर काम कर रहे हैं। इसमें निवेश प्रोत्साहन, व्यापारिक बाधाओं का कम होना और तकनीकी सहयोग प्रमुख होंगे। यह अगले सालों में द्विपक्षीय व्यापार को 10-15 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।”
डॉ. मेहरा ने यह भी कहा कि यह दौरा पिछले विवादों के बाद भरोसा बहाल करने का संकेत है। उन्होंने जोर दिया कि दोनों देशों को व्यापार और निवेश संबंधी नीतियों में संतुलन और दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी।
आशाओं के संकेत
भारत में व्यापारिक और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भी इस दौरे को सकारात्मक माना। उन्होंने कहा कि इससे विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और कनाडा से नई परियोजनाओं का मार्ग खुल सकता है।





