Thursday, October 30, 2025

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वियतनाम के प्रधानमंत्री Pham Minh Chinh बोले – ASEAN-भारत साझेदारी को मजबूती चाहिए, समुद्री सहयोग बढ़ाने पर विशेष जोर

वियतनाम के प्रमुख प्रतिनिधि प्रधानमंत्री Pham Minh Chinh ने दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठित समूह ASEAN और भारत के बीच साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की दिशा में तीन प्रमुख प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कहा है कि आर्थिक जुड़ाव, लोगों-से-लोगों के संपर्क और विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में सहयोग को गहरा करना आवश्यक है।

प्रधानमंत्री Chinh ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ASEAN-भारत रिश्तों को आगे ले जाने के लिए निम्न तीन मूलभूत दिशा-निर्देश अपनाए जाने चाहिए:
1. आर्थिक समागम (Economic connectivity) — दोनों पक्षों को लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs), उच्च-प्रौद्योगिकी निवेश, अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आदि में साझेदारी बढ़ानी होगी।
2. लोगों-से-लोगों का सहयोग (People-to-people exchanges) — शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, पर्यटन जैसे क्षेत्रों में संवाद बढ़ाकर सामाजिक और मानवीय जुड़ाव को मजबूत किया जाना चाहिए।
3. समुद्री सहयोग (Maritime cooperation) — उन्होंने विशेष रूप से पूछा कि “नीली अर्थव्यवस्था (blue economy)”, समुद्री विज्ञान-और-उद्योग, समुद्री परिवहन एवं समुद्री सुरक्षा को ध्यान में रखकर नए कार्यक्रम चलाया जाए। इसके अंतर्गत उन्होंने समुद्री क्षेत्रों में कानून-का-शासन, समुद्र में सुरक्षित व स्वतंत्र नेविगेशन, तथा अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून, विशेषकर United Nations Convention on the Law of the Sea (UNCLOS) के प्रति प्रतिबद्धता का भी उल्लेख किया। क्या हुआ ASEAN-भारत शिखर सम्मेलन में?

• यह बयान 22वें ASEAN-भारत शिखर सम्मेलन (Sriकृति देश: मलेशिया) के दौरान आया था, जहाँ ASEAN और भारत ने 2026–2030 के लिए एक कार्ययोजना भी अपनाई।
• सम्मेलन में यह तय हुआ कि 2026 को “ASEAN–India Maritime Cooperation” का वर्ष घोषित किया जाएगा, ताकि समुद्री साझेदारी को नए स्लेट पर ले जाया जा सके। महत्व और पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री Chinh ने यह भी कहा कि ASEAN और भारत मिलकर हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास को सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने बताया कि ASEAN-भारत दोनों मिलकर लगभग 2 बिलियन से अधिक जनसंख्या और करीब 8 त्रिलियन डॉलर की संयुक्त GDP का प्रतिनिधित्व करते हैं, इस साझा शक्ति को सार्थक दिशा में ले जाना चाहिए।
समुद्री सहयोग को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह क्षेत्रीय अस्थिरता, समुद्री मार्गों की सुरक्षा, समुद्री संसाधनों का उपयोग और निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय नियम-विनियमों के पालन से जुड़ा हुआ है। वियतनाम ने स्पष्ट किया है कि वह भारत के “Act East” नीति की दिशा में भी पूर्ण समर्थन करता है।

• दोनों पक्षों को अब AITIGA (ASEAN–India Trade in Goods Agreement) जैसे मौजूदा व्यापार समझौतों की समीक्षा जल्द पूर्ण करनी होगी ताकि व्यापार-विनियमन और निवेश का माहौल और सरल हो सके।
• समुद्री सहयोग को केवल घोषणाओं तक सीमित न रखना होगा; इसके लिए वास्तविक संयुक्त अभ्यास, समुद्री विज्ञान-अनुसंधान, नौवहन-सुरक्षा, पोर्ट-लॉजिस्टिक्स और समुद्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना होगा।
• इसके साथ-साथ यह सुनिश्चित करना होगा कि इन प्रयासों से क्षेत्रीय राजनीतिक तनाव न बढ़े—विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर एवं अन्तरराष्ट्रीय समुद्री कानून को लेकर।

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