विधानसभा का सत्र गैरसंविदानिक में करने का प्रस्ताव अत्यंत असामान्य होता है। यदि किसी राज्य या देश में ऐसा प्रस्ताव उठाया जाता है, तो इसके कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को विचारना जरूरी होता है:
- संविधान की अनुपालना: अगर किसी विधानसभा ने विधान से विचार किया है, तो इसे संविधान के प्रावधानों के अनुसार ही अपनाया जाना चाहिए।
- सत्ताधारी पक्ष की जांच: ऐसे प्रस्ताव के पीछे क्या उद्देश्य है, और क्या सत्ताधारी पक्ष इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहा है, इस पर विचार करना आवश्यक होता है।
- न्यायिक समीक्षा: क्या इस प्रस्ताव को न्यायिक दृष्टिकोण से समीक्षा किया गया है, और क्या इसमें किसी व्यक्ति या समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है, इस पर भी ध्यान देना चाहिए।
- राजनीतिक प्रभाव: यह प्रस्ताव समाज में कैसा राजनीतिक प्रभाव डालेगा, और क्या इसके परिणामस्वरूप कोई सामाजिक या आर्थिक असर पैदा हो सकता है, इसे भी मूल्यांकन करना आवश्यक होता है।





