मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में पिछले सप्ताह 6.9 अरब डॉलर की कमी दर्ज की गई है। इसके बावजूद भारत का कुल भंडार अभी भी रिकॉर्ड स्तर के करीब बना हुआ है, जो यह संकेत देता है कि देश की आर्थिक स्थिति मजबूत और स्थिर है।
आरबीआई की साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार, 25 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 6,53.55 अरब डॉलर पर आ गया, जबकि इससे पहले के सप्ताह में यह 6,60.46 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर था। यह गिरावट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets – FCA) में कमी के कारण आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में लगभग 6.4 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई, जबकि सोने के भंडार का मूल्य 49 करोड़ डॉलर घटकर 55.52 अरब डॉलर रह गया। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ विशेष आहरण अधिकार (SDRs) में भी मामूली कमी आई है।
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि भंडार में यह गिरावट वैश्विक मुद्रा उतार-चढ़ाव और अमेरिकी डॉलर की मजबूती का परिणाम है। बीते सप्ताह डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी हुई, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा और केंद्रीय बैंक को मुद्रा स्थिरता के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसका असर भंडार पर पड़ा।
इसके बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में शीर्ष पांच देशों में शामिल है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यह भंडार भारत को बाहरी झटकों और अंतरराष्ट्रीय बाजार की अस्थिरता से बचाने में सक्षम रखता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान स्तर भारत के लिए अत्यंत सुविधाजनक स्थिति है क्योंकि यह भंडार देश के लगभग 10 महीने के आयात को कवर करने में सक्षम है। इससे विदेशी निवेशकों का विश्वास भी बना हुआ है।
RBI के अधिकारियों ने कहा है कि केंद्रीय बैंक का लक्ष्य विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित और लचीला बनाए रखना है, ताकि बाजार में किसी भी अचानक उतार-चढ़ाव से अर्थव्यवस्था पर असर न पड़े।
आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि भले ही अस्थायी गिरावट दर्ज की गई हो, लेकिन भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दीर्घकालिक रूप से मजबूत और स्थिर है। निकट भविष्य में यदि वैश्विक तेल कीमतों में स्थिरता बनी रहती है और निर्यात में सुधार होता है, तो भंडार एक बार फिर नए रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है।





