नई दिल्ली, 5 नवम्बर — केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने वित्त मंत्री से 8वें वेतन आयोग (Eighth Pay Commission) की ‘संदर्भ की शर्तों’ (Terms of Reference) में संशोधन की मांग की है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि मौजूदा शर्तें कर्मचारियों की आर्थिक और सामाजिक जरूरतों को ध्यान में नहीं रखतीं, जिससे भविष्य में वेतन निर्धारण के दौरान असमानता और असंतोष बढ़ सकता है।
राष्ट्रीय संयुक्त परिषद (एनजेसीए) और विभिन्न केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने हाल ही में वित्त मंत्रालय को भेजे ज्ञापन में कहा कि आयोग की शर्तों में मुद्रास्फीति, जीवन-यापन लागत, नई पेंशन नीति (एनपीएस) से जुड़ी असुरक्षाएं और न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण के मुद्दों को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाना चाहिए।
संगठनों का तर्क है कि पिछले कुछ वर्षों में महंगाई दर में तेजी से वृद्धि हुई है, जबकि कर्मचारियों के वेतन संरचना में उस अनुपात में संशोधन नहीं किया गया। इसके चलते कई ग्रेड के कर्मचारियों को वास्तविक आय में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
कर्मचारियों में यह भी चिंता है कि 8वें वेतन आयोग की शर्तों में अगर पेंशन और भविष्य निधि से जुड़े पहलू शामिल नहीं किए गए, तो लाखों सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्तों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
केंद्रीय कर्मचारी महासंघ के नेताओं ने कहा कि आयोग का दायरा केवल वेतन संशोधन तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि कर्मचारियों के संपूर्ण आर्थिक कल्याण को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि वे आयोग की संदर्भ शर्तों को पुनः परिभाषित करें ताकि यह सभी वर्गों के लिए न्यायसंगत हो।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सरकार ने कर्मचारियों की इस मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है। हालांकि, फिलहाल आयोग की प्रक्रिया शुरुआती चरण में है और कोई औपचारिक बदलाव घोषित नहीं किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कर्मचारियों की ये चिंताएं दूर नहीं हुईं तो आने वाले महीनों में केंद्र और राज्यों में बड़े पैमाने पर कर्मचारी आंदोलन देखने को मिल सकते हैं, जो सरकार पर दबाव बढ़ा सकते हैं।





