नई दिल्ली: वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की समयसीमा बढ़ाने से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। यह याचिका ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दायर की है, जिसमें केंद्र सरकार से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए निर्धारित समय सीमा बढ़ाने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि देशभर में कई वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड अधूरा है और समय की कमी के कारण उनका पंजीकरण नहीं हो पा रहा। ओवैसी ने दलील दी है कि बड़ी संख्या में धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाएं इससे जुड़ी हैं, जिनका अस्तित्व सही ढंग से दर्ज न होने से विवाद और अवैध कब्जे जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार और वक्फ बोर्ड से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, इसलिए सभी पक्षों की बात सुनी जाएगी।
ओवैसी ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और पारदर्शी प्रबंधन के लिए समयसीमा में विस्तार जरूरी है ताकि किसी भी संपत्ति का दुरुपयोग या गलत पंजीकरण न हो। उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, देशभर में लाखों वक्फ संपत्तियां हैं, जिनका कुल मूल्य अरबों रुपये में है। यदि समयसीमा बढ़ाई जाती है, तो इन संपत्तियों के पंजीकरण और निगरानी की प्रक्रिया को और व्यवस्थित तरीके से पूरा किया जा सकेगा।


