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सीधी भर्ती का विरोध: शिक्षकों ने दी आंदोलन की चेतावनी, शिक्षा मंत्री से की मुलाकात

उत्तराखंड में प्रधानाचार्य पद पर विभागीय सीधी भर्ती के...

देवभूमि

कुमाऊं : कैसे हुआ नामकरण

इस प्रान्त का नाम कुर्मांचल या कुमाऊं होने के...

रामगंगा नदी घाटी में दबा है ऐतिहासिक शहर! फिर दुनिया के सामने लाने को ASI ने कसी कमर

अल्मोड़ा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा...

नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा

नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा यात्रा...

व्यक्तितव

वीर सिपाही शहीद केसरी चंद

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डॉ. यशवंत सिंह कठोच

डॉ. यशवंत सिंह कठोच का नाम वैसे तो उत्तराखंड...

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Bachendri Pal

Bachendri Pal, (born May 24, 1954, Nakuri, India), Indian...

The World of Raghu Rai: His Photography & Life

It was a picture of a donkey that started...

ताना-बाना

उत्तराखंड में हुए एक सीक्रेट मिशन का खतरा आज भी बरकरार

बात 1965 की है,  जब वियतनाम युद्ध तेज हो रहा...

पनीर ने रोका पलायन : रौतू कीबेली गाँव

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बसे गाँवों में रोज़गार...

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Thursday, July 24, 2025

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लुकाशेंको ने सातवीं बार ली राष्ट्रपति पद की शपथ

बेलारूस के अधिनायकवादी नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने मंगलवार को सातवीं बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इसके साथ ही उन्होंने अपने उन आलोचकों का मजाक उड़ाया जिन्होंने ‘यूरोप का अंतिम तानाशाह’ कहा था। लुकाशेंकों ने कहा कि उनके देश में उन देशों से अधिक लोकतांत्रिक है, जो खुद को इसका आदर्श मानते हैं।  लुकाशेंकों ने मिन्स्क के इंडिपेंडेंस पैलेस में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कहा, आधी दुनिया हमारे तानाशाही के मॉडल के सपने देख रही है, जिसमें वास्तविक असली व्यापार और हमारे लोगों के हित प्राथमिकता में हैं। इस बीच, देश छोड़कर विदेश में रहने वाले बेलारूस के सैकड़ों लोगों ने लुकाशेंको के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बेलारूस को 1918 में मिली अस्थायी स्वतंत्रता की वर्षगांठ के मौके पर किया गया। 1918 में रूसी साम्राज्य के पतन के बाद बेलारूस ने खुद को एक आजाद देश घोषित किया था, लेकिन यह स्वतंत्रता ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई थी। विरोध करने वाले इस दिन को एक प्रतीक के रूप में मानते हैं और लुकाशेंको के खिलाफ आवाज उठाने के लिए इसका उपयोग करते हैं।  लुकाशेंकों पिछले तीन दशक से सत्ता में हैं और उनके विरोधियों ने 26 जनवरी को हुए चुनाव को एक तमाशा करार दिया। बेलारूस के चुनाव आयोग के मुताबिक, लुकाशेंको को 87 फीसदी वोट मिले, जिसके बाद एक अभियान चलाया गया जिसमें मतपत्र पर उन्हें प्रतीकात्मक चुनौती देने वाले चार अन्य उम्मीदवारों ने उनके शासन की प्रशंसा की। उनके शासन में असहमति रखने वालों को जेल में डाल दिया गया या उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया। 2020 के चुनाव के बाद बेलारूस में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इतने व्यापक प्रदर्शन वहां पहले नहीं हुए थे। इन विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए और 90 लाख की कुल आबादी वाले देश में 65 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। हजारों प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस ने मारपीट की। स्वतंत्र मीडिया और गैर सरकारी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस दमनकारी कार्रवाई की वजह से पश्चिम देशों ने बेलारूस की आलोचना की और उस पर प्रतिबंध लगाए।

लुकाशेंको के शपथ ग्रहण समारोह में उनके हजारों समर्थक शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अपने विरोधियों को विदेशी एजेंट बताया और कहा कि वे जनता के खिलाफ काम कर रहे हैं। लुकाशेंको ने कहा, आपको जनता का समर्थन नहीं है और न ही कभी मिलेगा। आपका कोई भविष्य नहीं है। हमारे देश में उन देशों से ज्यादा लोकतंत्र है, जो खुद को इसका आदर्श बताते हैं। बेलारूस के कार्यकर्ता का कहना है कि वहां 1,200 से ज्यादा राजनीतिक कैदी हैं, जिनमें नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एलेस बियालियात्स्की भी शामिलहैं, जो वियासना ह्यूमन राइट्स सेंटर के संस्थापक हैं।

 

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