लंदन। कला जगत के इतिहास में एक नया अध्याय उस समय जुड़ गया जब मुगल काल की एक दुर्लभ पेंटिंग ने नीलामी में रिकॉर्ड तोड़ कीमत हासिल की। प्रसिद्ध नीलामी घर सॉथबीज़ (Sotheby’s) में आयोजित बोली में 17वीं शताब्दी की इस अमूल्य कलाकृति — ‘A Family of Cheetahs’ (चीतों का परिवार) — को 11.9 मिलियन पाउंड (लगभग ₹119 करोड़) में बेचा गया। यह अब तक बिकने वाली मुगल युग की सबसे महंगी पेंटिंग बन गई है।
शाहजहां के शासनकाल की अद्भुत कलाकृति
जानकारी के अनुसार, यह पेंटिंग मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल (लगभग 1630 के दशक) की है। इसे उस दौर के प्रसिद्ध दरबारी चित्रकार मंसूर के शिष्य द्वारा बनाया गया माना जा रहा है, जो पशु-पक्षियों के बारीक चित्रण के लिए प्रसिद्ध थे। चित्र में एक नर चीता, मादा चीता और उनके शावकों को अत्यंत सूक्ष्मता से दर्शाया गया है।
कलाकृति में प्रयुक्त रंगों की गहराई, पशुओं की भावभंगिमा और परिदृश्य की प्राकृतिकता इसे भारतीय मिनिएचर कला का उत्कृष्ट उदाहरण बनाती है।
अंतरराष्ट्रीय खरीदार ने लगाई सबसे ऊंची बोली
नीलामी में यूरोप, अमेरिका और एशिया के कई कला संग्राहकों ने बोली लगाई। अंततः एक अनाम अंतरराष्ट्रीय खरीदार ने सबसे ऊंची बोली लगाकर इस ऐतिहासिक पेंटिंग को अपने नाम कर लिया। नीलामी घर ने इसे “भारतीय दरबारी कला की दुर्लभतम कृति” बताते हुए कहा कि इसकी स्थिति और संरक्षण अद्भुत है।
सॉथबीज़ के निदेशक ने कहा – “मुगल कला की वैश्विक पहचान”
सॉथबीज़ के इस्लामिक और भारतीय कला विभाग के निदेशक एडवर्ड गिब्स ने कहा,
“यह केवल एक कलाकृति नहीं, बल्कि इतिहास का जीवंत दस्तावेज है। मुगल काल की कला ने भारत को विश्व पटल पर विशिष्ट पहचान दी है, और यह बिक्री उस विरासत का प्रमाण है।”
भारतीय कला जगत में खुशी
भारत में कला इतिहासकारों और संग्राहकों ने इस नीलामी को भारतीय कला के लिए “गौरव का क्षण” बताया है। नेशनल म्यूजियम के पूर्व निदेशक ने कहा, “मुगल काल की चित्रकला भारतीय कलात्मक विरासत का स्वर्ण युग है। इस पेंटिंग की कीमत सिर्फ धनराशि में नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर के सम्मान में भी मापी जानी चाहिए।”
मुगल युग की लघु चित्रकला अपने सूक्ष्म ब्रशवर्क, प्राकृतिक रंगों और जीवंत अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है। अकबर, जहांगीर और शाहजहां के काल में इस कला ने अभूतपूर्व ऊंचाई प्राप्त की थी। विशेष रूप से जहांगीर के काल में प्रकृति और जीव-जंतुओं पर आधारित चित्रों की परंपरा शुरू हुई थी, जिसे यह पेंटिंग खूबसूरती से आगे बढ़ाती है।
‘चीतों का परिवार’ पेंटिंग की यह ऐतिहासिक बिक्री न केवल भारतीय कला की वैश्विक मांग को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि सदियों पुरानी मुगल विरासत आज भी दुनिया भर के कला प्रेमियों के लिए अमूल्य धरोहर बनी हुई है।





