कीव/मॉस्को। यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष के बीच एक बार फिर सीमा विवाद और क्षेत्रीय नियंत्रण को लेकर तनाव गहरा गया है। रूस द्वारा नई शर्तें और क्षेत्रीय रियायतों की मांग रखे जाने के बाद यूक्रेन ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि वह “अपनी संप्रभुता या एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेगा।” कीव ने कहा कि रूस की मांगें “अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध और अनुचित” हैं।
यूक्रेन सरकार के प्रवक्ता ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि रूस ने हालिया वार्ताओं में पूर्वी यूक्रेन और दक्षिणी तटवर्ती क्षेत्रों पर स्थायी नियंत्रण की मांग की थी, जिसे कीव ने खारिज कर दिया। प्रवक्ता ने कहा, “यूक्रेन की भौगोलिक अखंडता पर कोई समझौता संभव नहीं है। यह देश केवल शांति चाहता है, समर्पण नहीं।”
रूस ने दावा किया है कि डोनेट्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरिझ्ज़िया और खेरसॉन क्षेत्रों में “स्थानीय जनता की इच्छा” के आधार पर उसने नियंत्रण स्थापित किया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यदि यूक्रेन इन क्षेत्रों पर अपने दावे से पीछे हटता है, तो संभावित युद्धविराम पर चर्चा आगे बढ़ सकती है।
हालांकि, यूक्रेन का कहना है कि ये “जनमत संग्रह” अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं और रूसी कब्जे को वैध ठहराने का प्रयास हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अपने संबोधन में कहा कि “रूस की मांगें अस्वीकार्य हैं।” उन्होंने कहा, “हमने इस युद्ध में हजारों जानें गंवाई हैं ताकि स्वतंत्र और एकजुट यूक्रेन बना रहे। हमारे लिए किसी भी क्षेत्र का त्याग करना हमारे अस्तित्व से समझौता करने जैसा होगा।”
जेलेंस्की ने यह भी कहा कि रूस “दबाव की राजनीति” अपना रहा है ताकि अंतरराष्ट्रीय समर्थन कम हो, लेकिन यूक्रेन अपने सहयोगियों और साझेदार देशों के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।
अमेरिका और यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के रुख का समर्थन करते हुए कहा है कि “किसी भी शांति समझौते का आधार अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभु सीमाओं का सम्मान होना चाहिए।”
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि रूस की मांगें “कब्जे को वैध बनाने की कोशिश” हैं, और इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को वॉशिंगटन समर्थन नहीं देगा।
दूसरी ओर, मॉस्को ने यूक्रेन पर “अवास्तविक अपेक्षाएं रखने” का आरोप लगाया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि “कीव पश्चिमी देशों के दबाव में निर्णय ले रहा है और व्यावहारिक वार्ता से बच रहा है।” उन्होंने दावा किया कि रूस “स्थायी समाधान” चाहता है, लेकिन इसके लिए यूक्रेन को “वास्तविकता स्वीकार करनी होगी।”
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय सुरक्षा परिषद (OSCE) ने दोनों पक्षों से तनाव कम करने और संवाद जारी रखने की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वार्ताएं विफल होती हैं, तो शीतकाल के दौरान सैन्य कार्रवाई तेज हो सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन की यह सख्त स्थिति बताती है कि कीव अब कूटनीतिक दबाव में झुकने को तैयार नहीं है। वहीं, रूस अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को स्थायी रूप से अपने नियंत्रण में रखना चाहता है, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव का समाधान और जटिल होता जा रहा है।





