देहरादून। राजधानी में एक सनसनीखेज साइबर ठगी मामले का खुलासा हुआ है। पुलिस ने एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर एक रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर को 16 दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा और उनसे करीब 60 लाख रुपये ठग लिए। आरोपी पीड़ित को लगातार ऑनलाइन निगरानी में रखकर मानसिक दबाव बनाता रहा ताकि वे किसी से संपर्क न कर सकें।
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेल की टीम ने तकनीकी साक्ष्यों और बैंक लेनदेन के आधार पर आरोपी को दिल्ली से गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार, ठगी की शुरुआत तब हुई जब रिटायर्ड इंस्पेक्टर को एक अज्ञात कॉल आया जिसमें कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और कहा कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग तस्करी में हुआ है।
आरोपी ने उन्हें चेतावनी दी कि यदि वे सहयोग नहीं करेंगे तो गिरफ्तारी हो सकती है। डर के माहौल में पीड़ित को आरोपी ने वीडियो कॉल के माध्यम से 24 घंटे निगरानी में रखा और कहा कि यह “डिजिटल अरेस्ट” प्रक्रिया का हिस्सा है। इस दौरान उसने पीड़ित से अलग-अलग खातों में कुल 60 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी अत्याधुनिक साइबर तकनीकों का इस्तेमाल कर खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी साबित कर रहा था। वह वीडियो कॉल के दौरान सरकारी भवनों और फर्जी पहचान पत्रों की पृष्ठभूमि दिखाकर विश्वास पैदा करता था।
राज्य के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) ने बताया कि साइबर पुलिस ने बैंक खातों की ट्रांजैक्शन डिटेल्स और आईपी एड्रेस ट्रैक कर आरोपी तक पहुंच बनाई। जांच में यह भी सामने आया कि ठगी के पैसे को क्रिप्टोकरेंसी और ऑनलाइन वॉलेट्स में ट्रांसफर किया गया था।
आरोपी से पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह एक संगठित साइबर गिरोह से जुड़ा है जो देशभर के सेवानिवृत्त अधिकारियों और वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाता है। पुलिस ने गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश शुरू कर दी है।
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी कॉल पर यदि खुद को किसी एजेंसी का अधिकारी बताया जाए और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डाला जाए, तो तुरंत 112 या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें।


