रिपबल्किन पार्टी को विस्कॉन्सिन में एक महत्वपूर्ण चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। फ्लोरिडा में भी उसका प्रदर्शन कमजोर रहा। इन दोनों घटनाओं के सिर्फ चौबीस घंटे बाद ही राष्ट्रपति ट्रंप ने वहीं कदम उठाया, जो हमेशा से उनके राजनीतिक करियर की पहचान रही है। उन्होंने अपनी नीति को और सख्त किया। ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका के लगभभ सभी व्यापारिक साझेदारों पर नया आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का एलान किया। यह उनके लिए एक बड़ा कदम था, जिसमें उन्होंने अपनी पुरानी आर्थिक नीति पर भरोसा दिखाया। चार दशक तक ट्रंप ने संरक्षणवादी आर्थिक दृष्टिकोण की पैरवी की थी। उन्होंने विदेशी व्यापार पर नियंत्रण लगाने का समर्थन किया था। उनका मानना था कि मुक्त व्यापार अमेरिका को कमजोर कर रहा है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था अब निर्माण से सेवा क्षेत्र में बदल गई है। यह कदम ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में उनका सबसे बड़ा निर्णय हो सकता है। पहले कार्यकाल में उनके सहयोगी उनका समर्थन नहीं करते थे, जिससे उनकी नीतियों को लागू करने में कठिनाई होती थी। अब वे बिना किसी रोक-टोक के अपने फैसले ले रहे हैं। हालांकि, इस फैसले की शुरूआत में ही आलोचना शुरू हो गई है। कोरोना महामारी के बाद वित्तीय बाजारों को सबसे बुरे हफ्ते का सामना करना पड़ा है। कई देशों ने प्रतिशोध के रूप में अपनी व्यापार नीतियां बदल दी हैं, और अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि ये टैरिफ अमेरिकामें महंगाई बढ़ा सकते हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी में डाल सकते हैं।
ट्रंप ने यह भी कहा है कि इन टैरिफ से अमेरिकी घरेलू विनिर्माण क्षेत्र में पुनरुत्थान होगा और यह उनकी 2017 की टैक्स कटौती को भी समर्थन देगा। लेकिन, इसके बावजूद वित्तीय बाजारों में गिरावट आई और डॉव जोन्स में 1,600 अंक की गिरावट दर्ज हुई।