आयातित वाहनों और इसके कलपुर्जों पर 25 फीसदी टैरिफ की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा उनके मुख्य सलाहकार और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क को भी रास नहीं आया है। मस्क ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि टैरिफ से उनकी कंपनी भी प्रभावित होगी। टेस्ला अपनी सभी कारें अमेरिका में बनाती है, लेकिन उसके लिए कुछ पार्ट्स आयात करती है। ट्रंप के फैसले से कंपनी के शेयर में भी 1.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वाहन निर्माता जनरल मोटर्स और स्टेलेंटिस के शेयर में गिरावट दिखी, जबकि फोर्ड के शेयर ने मामूली बढ़त दर्ज की। वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रंप के फैसले को प्रत्यक्ष हमला करार दिया और कहा, हम अपने कर्मचारियों की रक्षा करेंगे। अपनी कंपनियों की रक्षा करेंगे। अपने देश की रक्षा करेंगे। वहीं, जर्मनी के वित्त मंत्री रॉबर्ट हेबैक और फ्रांस के वित्त मंत्री एरिक लॉम्बार्ड ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, नया शुल्क अमेरिका और यूरोपीय संघ में उपभोक्ताओं के लिए समान रूप से बदतर है। चीन, जापान, दक्षिण कोरिया ने भी ट्रंप के फैसले की कड़ी आलोचना की है। अमेरिका ने वर्ष 2024 में 474 अरब डॉलर के ऑटोमोटिव उत्पादों का आयात किया, जिसमें 220 अरब डॉलर की यात्री कारें शामिल हैं। मैक्सिको, जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा और जर्मनी, सभी करीबी अमेरिकी सहयोगी सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता थे। यूरोप के लिए ये शुल्क ऐसे समय में एक बड़ा झटका है, जब यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिका के साथ उसके संबंध पहले से ही काफी बिगड़ गए हैं।ट्रंप भले ही कुछ भी दावे कर रहे हों, अमेरिकी विश्लेषक उनके फैसले की आलोचना कर रहे हैं। पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स की वरिष्ठ फेलो अर्थशास्त्री मैरी लवली का कहना है, हमें कम विकल्प देखने को मिलेंगे। नई कारों की औसत कीमत पहले ही करीब 49,000 अमेरिकी डॉलर हैं। ऐसे में नए शुल्क के बाद वे पुरानी गाड़ियां ही अपनाने को बाध्य होंगे। विश्लेषक अमेरिका में कारों का उत्पादन 30 फीसदी घटने की आशंका भी जता रहे हैं। चीन, जापान, दक्षिण कोरिया ने भी ट्रंप के फैसले की कड़ी आलोचना की है।