तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके सरकार के साथ चल रही तनातनी के बीच राज्यपाल आरएन रवि ने 25 और 26 अप्रैल को नीलगिरि में राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का सम्मेलन बुलाया है। इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ होंगे। वहीं सम्मेलन का राजनीतिक दलों ने विरोध शुरू कर दिया है। राजनीतिक दल कुलपतियों से सम्मेलन का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और कुलपतियों को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह 27 अप्रैल को कोयंबटूर जाएंगे।
राजभवन ने बताया कि तमिलनाडु के राज्य, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालयों/संस्थानों के कुलपतियों का वार्षिक सम्मेलन राजभवन उधगमंडलम में आयोजित किया जा रहा है। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 25 अप्रैल को मुख्य अतिथि बनने और सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए सहमति व्यक्त की है। तमिलनाडु के राज्य विश्वविद्यालयों के राज्यपाल-कुलाधिपति आरएन रवि सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे।
राजभवन ने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय ऋण ढांचे के कार्यान्वयन, विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक सहयोग, सीखने के परिणामों को अधिकतम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग, शैक्षणिक संस्थानों में वित्तीय प्रबंधन, अनुसंधान उत्कृष्टता, उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, शिक्षार्थियों के लिए क्षमता निर्माण आदि मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श और संवादात्मक सत्र आयोजित करना है। सम्मेलन में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सीमाएं विषय पर विशेष संबोधन देंगे। यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों को लंबित रखने पर राज्यपाल के खिलाफ फैसला सुनाया है। इसमें विवि कुलपति से जुड़ा विधेयक भी शामिल है। कुलपतियों का सम्मेलन बुलाने पर राजनीतिक दलों ने राज्यपाल की निंदा की है। डीएमके के सहयोगी वीसीके प्रमुख थोल थिरुमावलवन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार सीएम पर राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को नामित करने की शक्तियां हैं और अब इसमें रवि की कोई भूमिका नहीं है।
टीएनसीसी अध्यक्ष के सेल्वापेरुन्थगई ने कहा कि उनकी पार्टी राज्यपाल रवि के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करेगी और 25 अप्रैल को उपराष्ट्रपति और राज्यपाल की नीलगिरी यात्रा के दौरान काले झंडे भी दिखाएगी। सीपीआई (एम) के राज्य सचिव पी षणमुगम ने कहा कि रवि जानबूझकर कुलपतियों को बैठक में आमंत्रित करके टकराव को भड़का रहे हैं क्योंकि उनके पास अब इसे आयोजित करने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह न केवल सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है, बल्कि सांविधानिक मानदंडों का भी घोर उल्लंघन है। उन्होंने राज्य सरकार से कुलपतियों को बैठक में शामिल न होने का निर्देश देने की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य विधानमंडल ने पहले ही राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद से हटाने के लिए एक विधेयक पारित कर दिया है और इसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा है।