देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने रजिस्ट्री शुल्क में बड़ा संशोधन करते हुए इसे 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है। रजिस्ट्रियों पर लगने वाली यह अधिकतम फीस लगभग दस वर्ष बाद संशोधित की गई है। सरकार का कहना है कि यह कदम राजस्व बढ़ोतरी के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। वित्त विभाग के आदेश के बाद सोमवार को महानिरीक्षक निबंधन (आईजी स्टांप) कार्यालय ने सभी जिलाधिकारियों और संबंधित पंजीयन कार्यालयों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
कैसे बदलता है रजिस्ट्री शुल्क?
राज्य में वर्तमान व्यवस्था के तहत संपत्ति खरीद पर दो प्रतिशत रजिस्ट्री शुल्क लिया जाता है, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा 25 हजार रुपये तय थी। उदाहरण के तौर पर 10 लाख रुपये की संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर 20 हजार रुपये शुल्क लिया जाता है। इसी तरह 12.5 लाख रुपये तक की संपत्ति पर दो प्रतिशत के हिसाब से शुल्क 25 हजार रुपये पहुंच जाता है।
12.5 लाख रुपये से अधिक मूल्य की किसी भी संपत्ति पर भी पहले अधिकतम 25 हजार रुपये ही रजिस्ट्री शुल्क लिया जाता था। अब यह अधिकतम सीमा बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है। यानी संपत्ति की कीमत कितनी भी हो, रजिस्ट्री शुल्क 50 हजार रुपये से अधिक नहीं होगा।
10 साल बाद हुआ संशोधन
आईजी स्टांप सोनिका ने बताया कि पिछले दस वर्षों में रजिस्ट्री शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया था। साल 2015 में इसे 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया गया था। अब पुनः संशोधन करते हुए शुल्क दोगुना किया गया है।
उत्तर प्रदेश की तुलना में राहत
आईजी स्टांप ने बताया कि उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्री शुल्क एक प्रतिशत है और इसकी अधिकतम सीमा तय नहीं है, जिससे बड़े सौदों पर काफी अधिक धन देना पड़ जाता है। इसके विपरीत उत्तराखंड में शुल्क की अधिकतम सीमा तय होने से भूमि क्रेताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ता।
सरकार का मानना है कि नए संशोधन से राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी, जबकि खरीदारों पर बोझ भी नियंत्रित रहेगा।





