भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऐसा नया रणनीतिक प्लान तैयार किया है, जो घरेलू उत्पादन, नवाचार और उच्च स्तरीय शोध को मजबूत करेगा। इस कदम से विदेशी आयात पर निर्भरता घटाने, तकनीकी क्षमता बढ़ाने और स्वदेशी रक्षा उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
नए प्लान में शोध एवं विकास (आर एंड डी) पर विशेष जोर दिया गया है। सरकार का मानना है कि यदि रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आधुनिक और अत्याधुनिक खोजें देश के भीतर ही विकसित हों, तो न केवल भारतीय सेना को बेहतर संसाधन उपलब्ध होंगे, बल्कि रक्षा उपकरणों के निर्यात में भी भारी वृद्धि हो सकती है। इसके लिए रक्षा उद्योगों, स्टार्टअप्स, निजी कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं।
योजना के तहत सरकार ने नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए कई नई नीतियाँ लागू करने का संकेत दिया है। इसमें रक्षा संबंधित स्टार्टअप्स को आर्थिक सहायता, अनुसंधान परियोजनाओं पर अनुदान और परीक्षण सुविधाओं को साझा करने की व्यवस्था शामिल है। उच्च तकनीक वाले उपकरण, ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम, साइबर सुरक्षा समाधान और उन्नत हथियार प्रणालियों पर विशेष फोकस रखा गया है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारत पहले ही कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कर चुका है, और यह नया प्लान उस प्रयास को और गति देगा। भविष्य में अधिक से अधिक स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देकर देश को विश्वस्तरीय रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की यह पहल लंबे समय में भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूती देने वाली साबित होगी। इससे न केवल सुरक्षा क्षमता बढ़ेगी, बल्कि नए रोजगार अवसर, विदेशी निवेश और तकनीकी साझेदारी के लिए भी रास्ते खुलेंगे। सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है—रक्षा क्षेत्र में ऐसा सिस्टम विकसित करना, जो आधुनिक, सुरक्षित और पूरी तरह आत्मनिर्भर हो।





