नई दिल्ली/गांधीनगर: भारत की रक्षा तकनीकी क्षमता और आंतरिक सुरक्षा के रणनीतिक कौशल को एक मंच पर लाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से देश की सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना और सुरक्षा बलों के लिए एक कुशल कार्यबल तैयार करना है।
समझौते के मुख्य स्तंभ और उद्देश्य
इस रणनीतिक साझेदारी के तहत दोनों संस्थान कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे:
- तकनीक और प्रशिक्षण का संगम: DRDO द्वारा विकसित उन्नत तकनीकों को सुरक्षा बलों तक पहुँचाने के लिए RRU विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और कार्यशालाएं तैयार करेगा।
- संयुक्त अनुसंधान (Joint Research): आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर सुरक्षा, और ड्रोन तकनीक जैसे उभरते क्षेत्रों में दोनों संस्थान मिलकर शोध करेंगे।
- आंतरिक सुरक्षा को मजबूती: सीमा प्रबंधन और आंतरिक कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए नई तकनीकी प्रणालियों का विकास किया जाएगा।
- कौशल विकास: रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं के लिए नए डिप्लोमा और डिग्री प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे, जो सीधे उद्योग की जरूरतों से जुड़े होंगे।
देश की सुरक्षा के लिए इसके मायने
इस समझौते को विशेषज्ञों द्वारा ‘साइलो’ (Silo) में काम करने की परंपरा को खत्म करने और सहयोग को बढ़ावा देने वाला कदम बताया जा रहा है।
- स्वदेशी नवाचार: DRDO की प्रयोगशालाओं में होने वाले शोध को RRU के माध्यम से पुलिस और अर्धसैनिक बलों की वास्तविक जरूरतों के साथ जोड़ा जा सकेगा।
- साइबर सुरक्षा: वर्तमान में बढ़ते डिजिटल खतरों को देखते हुए, दोनों संस्थान देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे (Critical Infrastructure) को सुरक्षित करने के लिए विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित करेंगे।
- रणनीतिक नेतृत्व: RRU के छात्रों और सुरक्षा अधिकारियों को DRDO के वैज्ञानिकों से सीधे सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे नेतृत्व क्षमता का विकास होगा।
शीर्ष नेतृत्व की प्रतिक्रिया
हस्ताक्षर समारोह के दौरान अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य के युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि तकनीकी मोर्चों पर भी लड़े जाएंगे।
“यह समझौता न केवल अनुसंधान को बढ़ावा देगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि हमारे सुरक्षा बल आधुनिकतम उपकरणों के संचालन में पूरी तरह सक्षम हों। हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को रक्षा नवाचार के माध्यम से साकार कर रहे हैं।” — DRDO के वरिष्ठ अधिकारी
भावी योजना
अगले चरण में, DRDO और RRU की एक संयुक्त कार्य समिति (Joint Working Committee) बनाई जाएगी। यह समिति नियमित रूप से परियोजनाओं की समीक्षा करेगी और सुरक्षा बलों की तात्कालिक आवश्यकताओं के आधार पर नए तकनीकी समाधान प्रस्तावित करेगी।





