देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया तेज हो गई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तक 40 जोड़ों ने ऑनलाइन आवेदन किया है, जिनमें से 22 मामलों में अनुमति नहीं दी गई, जबकि शेष आवेदनों को आवश्यक औपचारिकताओं के बाद स्वीकृति प्रदान की गई है।
राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नई व्यवस्था के तहत लिव-इन में रहने के इच्छुक जोड़ों के लिए स्थानीय थाने या ऑनलाइन माध्यम से पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। यह प्रावधान मुख्य रूप से सुरक्षा, पारदर्शिता और महिला हितों की रक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जिन 22 आवेदनों को अनुमति नहीं मिली, उनमें अधिकांश मामलों में दस्तावेजों की अपूर्णता, उम्र से संबंधित कानूनी अड़चनें या पारिवारिक आपत्ति जैसी वजहें सामने आई हैं। संबंधित जोड़ों को आवश्यक दस्तावेज और विवरण दोबारा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, जिन आवेदनों को मंजूरी मिली है, उनके पंजीकरण के बाद संबंधित थाने और स्थानीय प्रशासन को सूचना भेज दी गई है। प्रत्येक जोड़े की पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन प्रक्रिया भी की जा रही है।
यूसीसी लागू होने के बाद से राज्य में यह पहला मौका है जब इतने बड़े पैमाने पर लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण की प्रक्रिया सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवस्था सामाजिक जिम्मेदारी और कानूनी पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रक्रिया से युवाओं में जागरूकता बढ़ रही है और कई जोड़े कानूनी रूप से सुरक्षित तरीके से अपना संबंध पंजीकृत करा रहे हैं। सरकार का उद्देश्य सामाजिक संतुलन और महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
वहीं, समाजशास्त्रियों का मानना है कि यूसीसी के तहत पारदर्शी पंजीकरण प्रणाली से अनैतिक प्रथाओं पर अंकुश लगेगा और रिश्तों में जवाबदेही बढ़ेगी।
इस तरह, लिव-इन संबंधों के औपचारिक पंजीकरण की यह प्रक्रिया उत्तराखंड में एक नई सामाजिक और कानूनी परंपरा की शुरुआत मानी जा रही है।


