नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम: देश के विभिन्न हिस्सों में क्रिसमस समारोहों के दौरान हुई तोड़फोड़ और हंगामे की घटनाओं पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। थरूर ने इन घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इन्हें भारत की साझा संस्कृति और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना पर हमला करार दिया है। उन्होंने सरकार से ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है जो समाज में सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
देश की छवि पर चिंता व्यक्त की
शशि थरूर ने सोशल मीडिया और प्रेस बयानों के माध्यम से कहा कि भारत अपनी विविधता और सर्वधर्म समभाव के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि जिस समय देश को शांति और प्रेम का संदेश देना चाहिए, उस समय कुछ असामाजिक तत्व प्रार्थना सभाओं और उत्सवों में खलल डाल रहे हैं। थरूर के अनुसार, इस तरह की घटनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ‘लोकतांत्रिक और उदार’ छवि को नुकसान पहुँचाती हैं।
विभिन्न राज्यों से आई हंगामे की खबरें
उल्लेखनीय है कि इस साल क्रिसमस के अवसर पर देश के कुछ राज्यों से दक्षिणपंथी समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन और जबरन धर्मांतरण के आरोपों के बीच उत्सवों को रोकने की खबरें सामने आई थीं। कहीं सांता क्लॉज के पुतले जलाए गए, तो कहीं स्कूल के कार्यक्रमों में हस्तक्षेप किया गया। इन्हीं घटनाओं का हवाला देते हुए थरूर ने कहा कि किसी भी धर्म के त्योहार को मनाने की आजादी हमारा संवैधानिक अधिकार है और इसमें बाधा डालना असंवैधानिक है।
संस्कृति पर हमले का आरोप
थरूर ने अपने बयान में जोर देकर कहा, “यह केवल एक धर्म विशेष पर हमला नहीं है, बल्कि यह भारत की उस महान संस्कृति पर हमला है जहाँ सदियों से सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होते रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “विद्वेष की यह राजनीति” देश के भविष्य के लिए घातक है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
सरकार और प्रशासन से अपील
कांग्रेस सांसद ने केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों से अपील की है कि वे कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करें और धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन को ऐसी घटनाओं के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ (शून्य सहनशीलता) की नीति अपनानी चाहिए ताकि अल्पसंख्यकों और अन्य समुदायों के बीच सुरक्षा की भावना बनी रहे।
शशि थरूर के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है। जहाँ विपक्ष इसे सत्ता पक्ष की शह पर होने वाली घटनाएं बता रहा है, वहीं अन्य संगठनों ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए अपने विरोध को ‘सांस्कृतिक संरक्षण’ का नाम दिया है।





