मोनाड यूनिवर्सिटी से डिग्री और डिप्लोमा प्राप्त कर उत्तराखंड में नौकरी हासिल करने वाले उम्मीदवार अब जांच के दायरे में आ गए हैं। राज्य सरकार ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिए हैं कि मोनाड यूनिवर्सिटी से जारी सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की विस्तृत जांच की जाए। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, विभिन्न विभागों में तैनात कुछ कर्मचारियों ने इसी विश्वविद्यालय से प्राप्त डिग्री और डिप्लोमा के आधार पर नियुक्ति पाई थी।
शिक्षा एवं तकनीकी संस्थानों की वैधता को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में मोनाड यूनिवर्सिटी से जारी प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता पर संदेह उत्पन्न होने के बाद राज्य स्तर पर यह निर्णय लिया गया है कि पूरी प्रक्रिया का सत्यापन किया जाए। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि नियुक्त कर्मियों से उनकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित मूल दस्तावेज मांगे जाएंगे और उनकी जांच विश्वविद्यालय से प्रत्यक्ष रूप से कराई जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, कई पदों पर चयनित उम्मीदवारों की डिग्री की सत्यता पर सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि कुछ पाठ्यक्रमों की मान्यता अवधि और विश्वविद्यालय की अधिसूचनाओं में स्पष्टता नहीं मिल रही है। इस वजह से संबंधित विभागों को आशंका है कि कुछ नियुक्तियां संदिग्ध शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर हुई होंगी।
जांच प्रक्रिया शुरू होते ही संबंधित विभागों में हलचल बढ़ गई है। अधिकारियों का कहना है कि यदि किसी भी कर्मचारी की डिग्री या डिप्लोमा फर्जी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है, जिसमें सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई शामिल हो सकती है। सरकार का मानना है कि शैक्षणिक योग्यता में किसी प्रकार की अनियमितता न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को प्रभावित करती है बल्कि योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन भी करती है।
इस मामले के उजागर होने के बाद कई अभ्यर्थियों और कर्मचारियों में चिंता बढ़ गई है। वहीं सरकार ने स्पष्ट किया है कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष और तथ्यों के आधार पर की जाएगी। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेगी।





