भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के उद्देश्य से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष सेर्गेई लावरोव से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच यह उच्चस्तरीय बैठक ऐसे समय में हुई है जब अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में तेजी से बदलाव आ रहे हैं और नई वैश्विक चुनौतियों के बीच पारंपरिक साझेदारियों का महत्व और बढ़ गया है।
कई अहम मुद्दों पर गहन चर्चा
बैठक में दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग, व्यापार विस्तार, ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी साझेदारी, आपसी निवेश तथा क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। भारत–रूस के बीच लंबे समय से लंबित कुछ परियोजनाओं की समीक्षा भी की गई, ताकि उनके क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके।
सूत्रों के अनुसार, बातचीत का मुख्य फोकस एक नए बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय समझौते पर रहा, जिसके मसौदे को अंतिम रूप देने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। यह समझौता रक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष सहयोग और व्यापार को नई दिशा देगा।
व्यापार और ऊर्जा सहयोग पर जोर
भारत और रूस दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को अगले कुछ वर्षों में कई गुना बढ़ाने की आवश्यकता पर सहमति जताई। विशेष रूप से ऊर्जा सहयोग—तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में—को और व्यापक बनाने पर बल दिया गया।
भारत ने रूस में अपने निवेश को बढ़ाने की इच्छा जताई, वहीं रूस ने भारतीय कंपनियों के लिए नई औद्योगिक और ऊर्जा परियोजनाओं में अवसर उपलब्ध कराने पर सहमति व्यक्त की।
रक्षा सहयोग पर सकारात्मक संकेत
रक्षा क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग को नए स्तर पर ले जाने पर सहमति बनी। संयुक्त उत्पादन, रखरखाव सुविधाएं, स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता और भविष्य की रक्षा परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई। दोनों देशों ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि मौजूदा रक्षा समझौते बिना किसी व्यवधान के आगे बढ़ते रहें।
भूराजनीतिक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण
मुलाकात के दौरान यूक्रेन संकट, एशिया–प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, आतंकवाद और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया। दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में संवाद और कूटनीति के महत्व को रेखांकित किया।
संबंधों को नई ऊंचाई देने की तैयारी
भारत और रूस ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वे आपसी विश्वास और समय-परीक्षित साझेदारी को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं। विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा आगामी उच्चस्तरीय मुलाकातों के लिए मार्ग तैयार करती दिख रही है, और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही दोनों देश नए समझौते की अंतिम घोषणा कर सकते हैं।
दोनों पक्षों की सक्रियता इस ओर इशारा करती है कि भारत–रूस संबंध आने वाले समय में और अधिक बहुआयामी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रूप ले सकते हैं।





