Saturday, March 22, 2025

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महाकुंभ में परमाणु तकनीक से हो रही सफाई

महाकुंभ में अभी तक 50 करोड़ से ज्यादा लोग स्नान कर चुके हैं, लेकिन अभी तक महाकुंभ में किसी तरह की कोई बीमारी फैलने का कोई संकेत नहीं है। यह आंकड़ा अमेरिका और रूस की संयुक्त आबादी से भी ज्यादा है। देश के विज्ञान मंत्री ने इसका श्रेय परमाणु प्रौद्योगिकी के चमत्कार को दिया। केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ’50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहले ही महाकुंभ में आ चुके हैं और फिर भी स्वच्छता संबंधी किसी दिक्कत या महामारी के खतरे का कोई संकेत नहीं है।’ उन्होंने रविवार को संगम में स्नान किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह एक बड़ी बात है और यह अनूठी उपलब्धि परमाणु तकनीक पर आधारित सीवेज उपचार संयंत्रों के कारण संभव हुई है। ये संयंत्र मुंबई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और कलपक्कम स्थित इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र ने स्थापित किए हैं। ये दोनों संस्थान परमाणु ऊर्जा विभाग से संबंद्ध हैं। बता दें कि महाकुंभ में हाइब्रिड ग्रैन्युलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर या hgSBR तकनीक पर आधारित सीवेज उपचार प्रणाली तैनात की गई है। ये संयंत्र गंदे पानी को साफ करने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग करते हैं और इन्हें अक्सर फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट कहा जाता है। इस तकनीक का अनुसंधान और विकास परमाणु ऊर्जा विभाग में तैनात डॉ. वेंकट ननचारैया ने किया है।गंगा नदी के तट पर स्थित इन संयंत्रों से महाकुंभ स्थल पर प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख लीटर सीवेज का उपचार किया जा सकता है। इस तकनीक की खास बात ये है कि इसमें कम जमीन, कम बुनियादी ढांचे और कम परिचालन लागत आती है। इस तकनीक में परिचालन लागत 30-60 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

महाकुंभ में करोड़ों लोगों के आने और खुले में शौच और गंदे पानी के कारण हैजा और दस्त जैसी बीमारियां फैलने की घटनाएं हो जातीं थी, लेकिन इस साल उत्तर प्रदेश सरकार ने मेला स्थल पर 1.5 लाख शौचालय बनवाए हैं। मेला स्थल पर 11 स्थायी सीवेज उपचार संयंत्र और तीन अस्थायी संयंत्र लगाए गए हैं। 200 से अधिक मशीनों से स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

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