पश्चिम बंगाल में 25 हजार से कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द किए जाने को लेकर भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार को घेरा है। सोमवार को कोलकाता में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस पर पुलिस ने भाजपा नेता लॉकेट चटर्जी और पार्टी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। भाजपा नेताओं का आरोप है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्कूली शिक्षकों के हितों की रक्षा करने में विफल रहीं, जिन्होंने ईमानदारी से नौकरी पाई है। नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता का विरोध करते हुए भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा ने एक्साइड क्रॉसिंग से कालीघाट तक लगभग दो किलोमीटर दूरी तक मार्च निकालने की तैयारी की थी। भाजयुमो के एक पदाधिकारी ने बताया कि इससे पहले पुलिसकर्मियों ने पूर्व सांसद लॉकेट चटर्जी और अन्य पदाधिकारियों को उस समय हिरासत में ले लिया। चटर्जी और अन्य पार्टी पदाधिकारियों ने ममता बनर्जी सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ नारे लगाए।
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से मुलाकात की। ममता बनर्जी ने कहा, ‘शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने की साजिश चल रही है। 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं के शिक्षक उच्च शिक्षा के प्रवेश द्वार हैं। कई शिक्षक स्वर्ण पदक विजेता हैं, उन्होंने अपने जीवन में बेहतरीन परिणाम हासिल किए हैं। आप उन्हें चोर कह रहे हैं। आप उन्हें अक्षम कह रहे हैं। आपको यह अधिकार किसने दिया? कौन यह खेल खेल रहा है? नौकरी खोने वाले लोगों को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, ‘कृपया यह न समझें कि हमने इसे स्वीकार कर लिया है। हम पत्थर दिल नहीं हैं और ऐसा कहने के लिए मुझे जेल भी हो सकती है, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से 2016 में राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 25,000 से अधिक शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने पाया कि चयन प्रक्रिया बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की गई। पीठ ने कहा कि हमारी राय में यह एक ऐसा मामला है, जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया को बर्बाद कर दिया गया। प्रक्रिया में समाधान की कोई गुंजाइश ही बची है। पूरी प्रक्रिया ही दागदार प्रतीत हो रही है। बड़े पैमाने पर हेरफेर और कवर-अप के प्रयास ने चयन प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में चयन की विश्वसनीयता और वैधता समाप्त हो गई है।