मध्य भारत में मानसून देरी से पहुंचने से कम हो रही बारिश की अवधि और पंचायत स्तर तक मौसम का सटीक पूर्वानुमान पहुंचाने के लिए शुरू हुए ‘मिशन मौसम’ पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा से मनीष मिश्र की विशेष बातचीत। जलवायु परिवर्तन की वजह से काफी बदलाव आए हैं। मानसून 5 जून को केरल के पास पहुंचता है, जिसके बाद 15 जुलाई तक पूरा देश और राजस्थान को कवर कर रहा था। अभी हमने आधुनिक डेटा के हिसाब से दक्षिण भारत में मानसून पहले की तरह ही पहुंच रहा है, इसके कोई बदलाव नहीं है, लेकिन राजस्थान और उत्तर-पश्चिमी भारत में एक हफ्ते पहले पहुंच रहा है। मध्य भारत में मानसून 10-15 दिन की देरी से पहुंच रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, यूपी, एमपी, उड़ीसा आदि में इसका असर दिख रहा है। पहले 5 सितंबर से मानसून की वापसी होती थी, हमारी डेट के हिसाब से अब 17 सितंबर से राजस्थान से वापसी करता है। पूरे देश से 12 अक्तूबर के आसपास वापसी होती थी, वैसी ही है। अब इसे देखते हुए किसानों को धान की फसल का चयन करना चाहिए। जिससे उत्पादन प्रभावित नहीं हो। इसका नतीजा है कि उत्तर पश्चिम भारत में मानसून की अवधि बढ़ी है, और मध्य भारत में 10-15 दिन अवधि कम हुई है। वहीं पेनिनसुलर भारत में मानसून की अवधि में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस तरह से किसानों को मध्य भारत में अपनी खरीफ खेती की गतिविधियों को किसान एक सप्ताह से दो सप्ताह आगे बढ़ा सकते हैं।