मुंबई। महाराष्ट्र में मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर महा विकास आघाड़ी (एमवीए) ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शनिवार को कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) के नेताओं ने मुंबई में संयुक्त रूप से ‘सत्यचा मोर्चा’ (सत्य का संघर्ष) निकाला। इस दौरान विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में हेराफेरी और पक्षपातपूर्ण रवैये के गंभीर आरोप लगाए।
आंदोलन के दौरान तीनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में हजारों नाम मतदाता सूची से गायब कर दिए गए हैं, जिनमें अधिकतर विपक्ष समर्थक मतदाता शामिल हैं। नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पक्ष के इशारे पर यह साजिश रची जा रही है ताकि आगामी चुनावों में विपक्ष को नुकसान पहुंचाया जा सके।
शिवसेना (UBT) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, “लोकतंत्र में मतदाता सूची की पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन यहां उसे जानबूझकर बिगाड़ा जा रहा है। यह सीधे तौर पर मताधिकार पर हमला है।”
वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष संस्था के रूप में काम करना चाहिए, लेकिन वर्तमान में उसके फैसलों से भरोसा डगमगाया है। उन्होंने कहा कि एमवीए यह मुद्दा विधानसभा से लेकर संसद तक उठाएगा।
एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता जयहिंद देशमुख ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों की शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। “जब हमने प्रमाण के साथ मतदाता सूची में गड़बड़ियां दिखाई, तो आयोग ने जांच का आश्वासन दिया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया,” उन्होंने कहा।
एमवीए नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि चुनाव आयोग ने तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को राज्यव्यापी बनाया जाएगा। उन्होंने मतदाता सूची को सार्वजनिक करने, निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।
मोर्चे में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता और नागरिक शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने आयोग के खिलाफ नारे लगाए और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया की मांग की।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एमवीए का यह आंदोलन आगामी विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष की एकजुटता और जनता के बीच चुनावी पारदर्शिता का संदेश देने की रणनीति का हिस्सा है।





