Monday, April 28, 2025

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भारत 7 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के करीब

भारत 2030 तक 7 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जो 2030 तक जीडीपी में करीब 1,000 अरब डॉलर का योगदान दे सकता है। इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जो न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक समस्याओं के समाधान में सक्षम होगा। नैसकॉम के अध्यक्ष राजेश नांबियार ने कहा, भारत के भविष्य को आकार देने में प्रौद्योगिकी का बड़ा योगदान होगा। देश को सात लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी बनाने के लिए तकनीकी क्षेत्र को नवाचार की अगुवाई करनी होगी और खासकर डीप टेक के जरिये। यह स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में भी सहायक होगा। नांबियार ने बृहस्पतिवार को स्टार्टअप महाकुंभ के उद्घाटन पर कहा कि 2047 तक विकसित भारत बनने का दृष्टिकोण न सिर्फ आर्थिक वृद्धि से बल्कि प्रौद्योगिकी नवाचार से भी आकार लेगा। तीन से पांच अप्रैल तक नई दिल्ली में आयोजित स्टार्टअप महाकुंभ में 50 से अधिक देशों के स्टार्टअप, निवेशक और उद्योग प्रमुख शामिल हो रहे हैं।

नैसकॉम अध्यक्ष ने कहा, वैश्विक स्टार्टअप परिदृश्य में भारत की स्थिति मजबूत है। देश दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन गया है, जहां करीब 35,000 स्टार्टअप हैं। भारत में बीते साल वैश्विक स्तर पर दूसरी सबसे बड़ी संख्या में यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप) बने हैं।

  • 2023 की तुलना में 2024 में टेक स्टार्टअप के आईपीओ की संख्या तीन गुना बढ़ने से इस रफ्तार को और बल मिलेगा।
  • प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने 2024 में देश की अर्थव्यवस्था में 283 अरब डॉलर (जीडीपी का 7.3 फीसदी) का महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा, विकसित भारत का विजन मूल रूप से वैश्विक प्रतिस्पर्धा और नवाचार पर निर्भर करता है। इसके लिए कृषि, स्वास्थ्य सेवा और वित्तीय समावेशन जैसे क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाने के लिए स्टार्टअप को काफी अधिक फंड की जरूरत होगी। साथ ही नायर ने कहा, हमने पिछले दशक में 150 अरब डॉलर से अधिक के फंड जुटाए हैं। अब हमें बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता है।

 

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