भारत की चिकित्सा तकनीक ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी श्रेष्ठता साबित की है। देश में निर्मित नई पीढ़ी का हार्ट स्टेंट ‘सुप्राफ्लेक्स क्रुज’ अमेरिका में बने अग्रणी स्टेंट ‘एक्सिएंस’ की तुलना में उच्च जोखिम वाले हृदय रोगियों पर अधिक प्रभावी पाया गया है। इस खोज ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान को विश्वस्तर पर नई पहचान दिलाई है।
यह उपलब्धि बुधवार को एक अंतरराष्ट्रीय हृदय रोग सम्मेलन में साझा की गई, जहां देश के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ और दिल्ली स्थित बत्रा अस्पताल के चेयरमैन एवं डीन डॉ. उपेन्द्र कौल ने ‘टक्सेडो-2’ नामक भारतीय परीक्षण के परिणाम प्रस्तुत किए। इस अध्ययन में भारत के 66 प्रमुख हृदय रोग केंद्रों ने भाग लिया। इसका उद्देश्य था यह जांचना कि क्या भारतीय निर्मित स्टेंट अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्थापित उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर सकता है।
डॉ. कौल ने बताया कि यह अध्ययन विशेष रूप से अत्यंत जटिल हृदय रोगियों पर केंद्रित था, जिनमें मधुमेह और बहु-वाहिका (मल्टी-वेसल) रोग जैसी स्थितियां शामिल थीं। परीक्षण में शामिल लगभग 80 प्रतिशत मरीजों को त्रि-वाहिका रोग (तीन धमनियों में रुकावट) था। इन गंभीर मामलों में भी सुप्राफ्लेक्स क्रुज ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
अध्ययन के नतीजों में पाया गया कि भारत में बनी यह नई पीढ़ी की स्टेंट तकनीक स्थापित अंतरराष्ट्रीय मानकों से न केवल मेल खाती है बल्कि कुछ मामलों में उससे बेहतर परिणाम देती है। परीक्षण के दौरान एक वर्ष में हृदयाघात (हार्ट अटैक) की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई।
डॉ. कौल ने बताया कि यह स्टेंट सूरत की एक भारतीय कंपनी द्वारा विकसित किया गया है, और इसका प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि भारत अब उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर है।
उन्होंने कहा, “हमारा यह अध्ययन इस मिथक को तोड़ता है कि केवल पश्चिमी देशों की तकनीक ही विश्वसनीय है। भारतीय स्टेंट ने वैश्विक स्तर पर यह साबित कर दिया है कि हमारी तकनीक और गुणवत्ता किसी से कम नहीं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि इस शोध के नतीजे भारत के लिए “मेड इन इंडिया” स्वास्थ्य नवाचार के क्षेत्र में ऐतिहासिक मोड़ साबित होंगे। इससे न केवल देश में उपचार की लागत कम होगी, बल्कि दुनिया भर में भारत निर्मित चिकित्सा उपकरणों की मांग में भी बढ़ोतरी की संभावना है।
भारत में बने हार्ट स्टेंट ने रचा इतिहास: अमेरिकी स्टेंट से ज्यादा कारगर साबित, दुनिया में मिली बड़ी पहचान




