भारत और जर्मनी का रक्षा सहयोग एक बड़ा कदम आगे बढ़ाते हुए अब हेलिकॉप्टरों के लिए आधुनिक ‘ऑब्स्टेकल अवॉइडेंस सिस्टम’ विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह अत्याधुनिक तकनीक भारतीय वायुसेना और सुरक्षा बलों के हेलिकॉप्टर बेड़े की सुरक्षा क्षमता में बड़ी वृद्धि करेगी।
यह सिस्टम विशेष रूप से कम दृश्यता वाली परिस्थितियों—घने कोहरे, बारिश, बर्फबारी या पहाड़ी इलाकों में उड़ान—के दौरान हेलिकॉप्टरों को बाधाओं की स्वचालित चेतावनी देकर सुरक्षित उड़ान मार्ग सुनिश्चित करेगा। पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना के नियमित अभियानों को देखते हुए, पेड़, खंभे, तार जैसी बाधाओं की पहचान और रियल-टाइम अलर्ट दुर्घटनाओं की आशंका कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ को भी मजबूती देगी, क्योंकि निर्माण और तकनीकी प्रक्रिया में भारतीय कंपनियों की सक्रिय भागीदारी रहेगी तथा तकनीकी हस्तांतरण से स्वदेशी क्षमता बढ़ेगी। जर्मनी की उन्नत इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा तकनीक और भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता इस साझेदारी को और महत्वपूर्ण बनाती है।
यह प्रणाली ALH ध्रुव, LCH और Mi-17 जैसे हेलिकॉप्टर प्लेटफॉर्म पर लागू की जा सकेगी तथा मौजूदा फ्लीट के अपग्रेड की भी संभावना है। आपदा राहत, सीमा सुरक्षा और दुश्मन गतिविधियों की निगरानी जैसे अभियानों में भी इसकी उपयोगिता बेहद अहम होगी।
भारत-जर्मनी की यह रणनीतिक पहल दोनों देशों के रक्षा सहयोग को नई दिशा देने के साथ-साथ भारतीय सुरक्षा बलों को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप अधिक सुरक्षित और सक्षम बनाएगी।





