पेस्कोव ने भारत और चीन के बीच संबंधों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में हर संभव मदद और समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। रूस के कजान शहर में ब्रिक्स की बैठक से इतर पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिन की मुलाकात से संबंधित सवाल उन्होंने कहा कि इसमें रूस की कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन वह दोनों नेताओं की बैठक से खुश है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन यूक्रेन को कम से कम 275 मिलियन डॉलर (23 अरब 23 करोड़ 13 लाख से अधिक रुपये) के नए हथियार भेजेगा, ताकि वह रूस के खिलाफ अपनी लड़ाई को मजबूत कर सके। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन द्वारा उठाया गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति बाइडन चाहते हैं कि दो महीनों में यूक्रेन को जितना संभव हो सके, उतनी मदद मिले। बता दें कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं और वह 20 जनवरी 2025 को शपथ ग्रहण करेंगे।
हथियारों की नवीनतम खेप यूक्रेन को और ताकतवर बनाने के लिए भेजी जा रही है, खासकर जब संघर्ष वृद्धि की चिताएं बढ़ रही हैं। दोनों पक्ष अधिक लाभ हासिल करने के लिए जोर दे रहे हैं, क्योंकि ट्रंप ने युद्ध को शीघ्र समाप्त करने की कसम खाई है।
7 नवंबर को राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को अमेरिका से सप्लाई की गई लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति दी थी। इसके बाद, 19 नवंबर को यूक्रेन ने टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) का इस्तेमाल किया। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सेना ने दावा किया है कि यूक्रेन ने रात को रूस के ब्रांस्क क्षेत्र पर छह अमेरिकी एटीएसीएमएस मिसाइलें दागी हैं। यूक्रेन ने पहले भी एटीएसीएमएस का इस्तेमाल किया था, लेकिन ये इस्तेमाल सीमावर्ती इलाकों तक सीमित था। यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 300 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। लंबी दूरी तक मार करने की वजह से ही यह मिसाइल यूक्रेन के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। अमेरिका से मिलने वाली नई मदद में यूक्रेन को वायु रक्षा, हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (एचआईएमएआरएस), 155 मिमी और 105 मिमी आर्टिलरी राउंड, जेवलिन एंटी-आर्मर युद्ध सामग्री और अन्य उपकरण मिलेंगे। ये हथियार पेंटागन द्वारा यूक्रेन की फौज को जल्द से जल्द भेजे जाएंगे।