Thursday, May 22, 2025

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भारत का सैन्य खर्च 86 अरब तो PAK का दस अरब डॉलर

वर्ष 2024 में भारत का सैन्य खर्च पाकिस्तान से करीब नौ गुना अधिक रहा। पहलगाम हमले को लेकर दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच प्रमुख स्वीडिश थिंक टैंक सिपरी की ओर से सोमवार को जारी अध्ययन में इसका खुलासा किया गया। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी ) के अनुसार, सैन्य खर्च के लिहाज से विश्व में पांचवें सबसे बड़े देश भारत का सैन्य व्यय 1.6 फीसदी बढ़कर 86.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि पाकिस्तान का सैन्य व्यय 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष पांच सैन्य खर्च वाले संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी और भारत का वैश्विक सैन्य व्यय में 60 प्रतिशत योगदान है। देखा जाए तो इनका संयुक्त व्यय 1635 अरब डॉलर है। चीन का सैन्य व्यय 7.0 प्रतिशत बढ़कर अनुमानतः 314 अरब डॉलर हो गया है, जो लगातार तीन दशकों की वृद्धि को दर्शाता है। विश्व सैन्य खर्च प्रवृत्तियां 2024 विषयक रिपोर्ट में कहा गया है, एशिया के कुल सैन्य खर्च का 50 प्रतिशत व्यय साम्यवादी राष्ट्र कर रहा है।

यूरोपीय सैन्य खर्च शीत युद्ध के स्तर से पार सिपरी ने कहा कि यूरोप (रूस सहित) में सैन्य खर्च 17 प्रतिशत बढ़कर 693 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया और 2024 में वैश्विक वृद्धि में इसका मुख्य योगदान रहा। यूक्रेन युद्ध के तीसरे वर्ष में पहुंचने के चलते पूरे महाद्वीप में सैन्य खर्च में बढ़ोतरी जारी रही। यही वजह है कि यूरोपीय सैन्य खर्च शीत युद्ध के अंत में दर्ज स्तर को भी पार कर चुका है।

मध्य और पश्चिमी यूरोप में जर्मनी ने किया सर्वाधिक खर्च सिपरी की रिपोर्ट में कहा गया कि मध्य और पश्चिमी यूरोप के कई देशों ने 2024 में अपने सैन्य व्यय में अभूतपूर्व वृद्धि देखी। जर्मनी का सैन्य खर्च 28 प्रतिशत बढ़कर 88.5 अरब डॉलर हो गया। इससे वह मध्य और पश्चिमी यूरोप में सबसे अधिक खर्च करने वाला और विश्व में चौथा सबसे अधिक व्यय करने वाला देश बन गया।

अंतरराष्ट्रीय पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के नए आंकड़ों के अनुसार, रूस-यूक्रेन और इस्राइल-फलस्तीन युद्ध सहित प्रमुख वैश्विक संघर्षों के बीच, 2024 में वैश्विक सैन्य व्यय 2718 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो 2023 से वास्तविक रूप से 9.4% अधिक है। यह वृद्धि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से सबसे अधिक वार्षिक बढ़ोतरी है। इसमें सैन्य खर्च करने वाले शीर्ष 5 देशों में अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी और भारत सैन्य व्यय का 60% हिस्सा शामिल है।

पिछले कुछ वर्षों में विश्व के सभी क्षेत्रों में सैन्य खर्च बढ़ा है, विशेष रूप से यूरोप और पश्चिम एशियाई देशों में यह वृद्धि असामान्य रही है। अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी और भारत का संयुक्त खर्च 1635 अरब डॉलर है। संघर्ष, शस्त्रीकरण, शस्त्र नियंत्रण और निरस्त्रीकरण पर अनुसंधान के लिए समर्पित एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संस्थान ‘सिपरी’ ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि यूरोप (रूस सहित) में सैन्य खर्च 17% बढ़कर 693 अरब डॉलर हो गया है। माल्टा को छोड़कर सभी यूरोपीय देशों ने 2024 में अपने सैन्य खर्च में वृद्धि की। आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल के कारण कई वर्षों तक कम खर्च के बाद, लेबनान का सैन्य खर्च भी 2024 में 58% बढ़कर 63.5 करोड़ डॉलर हो गया।

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