कैन्सर। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को दो दिवसीय ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहुंचे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करना है। दौरे के दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ कई महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की जाएंगी।
दौरे का एजेंडा और उद्देश्य
राजनाथ सिंह के दौरे का प्रमुख फोकस सैन्य और रणनीतिक संबंधों को नई दिशा देना है। इस दौरान चर्चा के मुख्य बिंदु होंगे:
- सैन्य सहयोग और तकनीकी साझेदारी: दोनों देशों के बीच हथियार प्रणाली, समुद्री रक्षा और हवाई सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा।
- साझा युद्धाभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम: भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यासों की योजना और विस्तार।
- साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग: रक्षा प्रौद्योगिकी में नई तकनीकों के आदान-प्रदान पर विचार।
- क्षेत्रीय सुरक्षा और हिंद-प्रशांत रणनीति: Indo-Pacific क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन बनाए रखने और आतंकवाद व समुद्री सुरक्षा पर संयुक्त रणनीति।
द्विपक्षीय बैठकें और रणनीतिक मंच
दौरे के दौरान राजनाथ सिंह की ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री से उच्चस्तरीय बैठकें होंगी। इसके अलावा दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों और रणनीतिक सलाहकारों के साथ भी विस्तृत चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दौरा भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को अगले स्तर पर ले जाने का अवसर है।
पिछले सहयोग और नए प्रस्ताव
भारत और ऑस्ट्रेलिया पिछले कुछ वर्षों से सैन्य और तकनीकी सहयोग बढ़ाने के लिए कई पहल कर चुके हैं। इस दौरे में नई रक्षा परियोजनाओं और संयुक्त उत्पादन संबंधी समझौतों पर भी बातचीत होगी। इसके अलावा, समुद्री सुरक्षा, खुफिया साझेदारी और सीमा निगरानी को लेकर भी विशेष चर्चा होने की संभावना है।
सुरक्षा और रणनीतिक महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि राजनाथ सिंह का यह दौरा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने और क्षेत्रीय देशों के साथ संयुक्त रक्षा नेटवर्क को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगा। यह दौरा भारत-ऑस्ट्रेलिया के गहन रणनीतिक साझेदारी और विश्वास निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
आगे की योजनाएं
दौरे के अंतिम दिन दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित होने की संभावना है। इसमें रक्षा समझौते, प्रशिक्षण कार्यक्रम और लंबी अवधि की रणनीतिक साझेदारी के फ्रेमवर्क का ऐलान किया जा सकता है।
राजनाथ सिंह का यह दौरा न केवल द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ावा देगा बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत के कूटनीतिक प्रयासों को भी बल देगा।





