सिडनी। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग लगातार नई दिशा ले रहा है। दोनों देशों ने अब रक्षा उत्पादन, तकनीकी साझेदारी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा में संयुक्त रूप से काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी बेस एचएमएएस कुट्टाबुल का दौरा किया। इस दौरान उनके साथ ऑस्ट्रेलिया के सहायक रक्षा मंत्री पीटर खलील मौजूद रहे।
12 साल बाद किसी भारतीय रक्षा मंत्री की ऑस्ट्रेलिया यात्रा
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने रक्षा साझेदारी, उभरती तकनीकों, आपसी निवेश और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता पर गहन चर्चा की। खलील ने राजनाथ सिंह की यात्रा को “ऐतिहासिक और बेहद महत्वपूर्ण” बताते हुए कहा कि यह 12 वर्षों बाद किसी भारतीय रक्षा मंत्री की ऑस्ट्रेलिया यात्रा है। उन्होंने आशा जताई कि “अगली यात्रा के लिए हमें इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।”
“सिर्फ साझेदार नहीं, इंडो-पैसिफिक में सह-निर्माता हैं हम” – राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया अब केवल रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सह-निर्माता (Co-creators) के रूप में उभर रहे हैं। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र, विविधता और स्वतंत्रता—ये साझा मूल्य हमारे रिश्तों की सबसे मजबूत नींव हैं।”
उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। देश का रक्षा उत्पादन ₹1.51 लाख करोड़ (लगभग 18 अरब डॉलर) तक पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष से 18% अधिक है।
रक्षा निर्यात और निवेश नीति में बड़ा सुधार
रक्षा मंत्री ने बताया कि भारत अब करीब 100 देशों को अपने रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा ₹23,622 करोड़ (लगभग $2.76 बिलियन) तक पहुंच गया।
उन्होंने कहा, “भारत ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई नीति को और उदार बनाया है—अब 74% तक विदेशी निवेश ऑटोमैटिक रूट से किया जा सकता है, जबकि इससे अधिक निवेश के लिए सरकारी मंजूरी का प्रावधान है, विशेषकर तब जब निवेश से अत्याधुनिक तकनीक भारत में आती हो।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का डिफेंस प्रोडक्शन इकोसिस्टम तेजी से बिजनेस-फ्रेंडली बनाया जा रहा है ताकि विदेशी और घरेलू दोनों निवेशकों को प्रोत्साहन मिल सके।
ऑस्ट्रेलिया के साथ तकनीकी सहयोग को नया आयाम
राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत का डीआरडीओ और ऑस्ट्रेलिया का डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप (DSTG) पहले से ही टोएड एरे सेंसर सिस्टम पर संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं। आने वाले समय में दोनों देश क्वांटम टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, सूचना युद्ध और पनडुब्बी ड्रोन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
भारत ने ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को फ्लाइट सिमुलेटर, एडवांस मटेरियल्स और अंडरवाटर ऑटोनॉमस व्हीकल्स (पनडुब्बी ड्रोन) के सह-विकास और सह-निर्माण में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया है।
पीटर खलील ने की पीएम मोदी की सराहना
बैठक के दौरान पीटर खलील ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली ऑस्ट्रेलिया यात्रा को याद करते हुए सिडनी में 25,000 भारतीयों की भागीदारी वाले भव्य कार्यक्रम का उल्लेख किया। उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय को दोनों देशों के बीच “मजबूत सेतु” बताया।
खलील ने कहा, “भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंडो-पैसिफिक में साझा दृष्टिकोण है—एक ऐसा क्षेत्र जो खुला, समृद्ध और स्थिर हो।” उन्होंने 2022 में लागू हुए आर्थिक सहयोग समझौते (ECTA) और ‘तावीज कृपाण’ रक्षा अभ्यास को द्विपक्षीय संबंधों की बड़ी उपलब्धि बताया।
क्षेत्रीय स्थिरता और भविष्य की दिशा
दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समावेशी विकास के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया की भूमिका निर्णायक होगी।
राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ऑस्ट्रेलिया की ‘डिफेंस इंडस्ट्री कैपेबिलिटी’ एक-दूसरे को पूरक हैं। हमारा लक्ष्य एक लचीला, आत्मनिर्भर और पारस्परिक सहयोग पर आधारित रक्षा तंत्र बनाना है।”
विश्लेषण: भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग अब केवल सामरिक साझेदारी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि तकनीकी, औद्योगिक और रणनीतिक क्षेत्रों में एक दीर्घकालिक सहयोगी ढांचे का रूप ले चुका है — जो आने वाले वर्षों में इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा संरचना को गहराई से प्रभावित करेगा।
भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग नई ऊंचाई पर: पानी के नीचे चलने वाले वाहनों से लेकर रक्षा उत्पादन तक साझेदारी मजबूत





