बर्लिन/नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने जर्मनी दौरे के दौरान एक बार फिर केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। बर्लिन में प्रवासी भारतीयों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने दावा किया कि भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सुनियोजित तरीके से हमले किए जा रहे हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच से आह्वान किया कि देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए विपक्ष को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा।
संबोधन के मुख्य बिंदु और बड़े आरोप
राहुल गांधी ने अपने भाषण में भारत की वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर कई गंभीर सवाल उठाए:
- संस्थाओं पर कब्जे का आरोप: राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया जैसी स्वतंत्र संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन संस्थाओं पर एक विशेष विचारधारा का नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश हो रही है।
- लोकतंत्र की परिभाषा: उन्होंने तर्क दिया कि लोकतंत्र केवल वोट डालने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्र रूप से काम करने वाली संस्थाओं के संतुलन पर निर्भर करता है, जिसे वर्तमान में नष्ट किया जा रहा है।
- विपक्ष की भूमिका: उन्होंने जोर देकर कहा कि आज विपक्ष की लड़ाई केवल एक राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र से है जिसने देश के संवैधानिक ढांचे पर कब्जा कर लिया है।
बेरोजगारी और हिंसा पर चिंता
राहुल गांधी ने देश की आंतरिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी निशाना साधा:
- बढ़ती बेरोजगारी: उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी की समस्या चरम पर है, जिसे हल करने के बजाय सरकार लोगों का ध्यान भटकाने का काम कर रही है।
- नफरत और हिंसा का माहौल: राहुल ने आरोप लगाया कि समाज में ध्रुवीकरण और नफरत फैलाई जा रही है, जो भारत की प्रगति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का जिक्र करते हुए कहा कि वे नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने का काम कर रहे हैं।
- दलित और पिछड़ों की आवाज: उन्होंने कहा कि देश की एक बड़ी आबादी (दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग) को विकास की मुख्यधारा से बाहर रखा जा रहा है।
भाजपा की पलटवार: “विदेशी धरती पर देश का अपमान”
राहुल गांधी के इन बयानों पर भारत में राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनके बयानों की कड़ी निंदा की है।
- देश की छवि को नुकसान: भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा कि राहुल गांधी विदेशी धरती पर जाकर भारत की छवि को धूमिल करने की आदत बना चुके हैं।
- जनादेश का अपमान: भाजपा का कहना है कि भारत के लोकतंत्र को दुनिया ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में सम्मान देती है, लेकिन राहुल गांधी अपनी हार की हताशा को विदेशी मंचों पर निकालते हैं।
रणनीतिक मायने
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह विदेशी दौरा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को एक ‘मजबूत और मुखर विपक्षी नेता’ के रूप में स्थापित करने का प्रयास है। वे वैश्विक मंचों के जरिए भारत के भीतर की राजनीतिक लड़ाई को एक वैचारिक आयाम देने की कोशिश कर रहे हैं।
“भारत में जो हो रहा है, वह केवल हमारा आंतरिक मामला नहीं है; यह इस बात की परीक्षा है कि क्या एक विशाल लोकतंत्र अपनी संस्थाओं की रक्षा कर सकता है। हमें हर कीमत पर अपने संविधान को बचाना होगा।” — राहुल गांधी, कांग्रेस नेता





