Saturday, December 21, 2024

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भारतीय मूल के लेक्चरर को मिला सिंगापुर साहित्य सम्मान

भारतीय मूल के लेक्चरर ने अपनी अंग्रेजी फिक्शन के लिए सिंगापुर साहित्य पुरस्कार जीता। नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के लेक्चरर प्रशांति राम को नाइन यार्ड साड़ी के लिए यह पुरस्कार दिया गया। उनकी यह कहानी सिंगापुर, सिडनी, न्यूयॉर्क और कनेक्टिकट में फैले एक तमिल ब्राह्मण परिवार की पीढ़ियों के बारे में है। पुरस्कार जीतने के बाद प्रशांति राम ने कहा कि वह आश्चर्यचकित हैं।लेक्चरर प्रशांति राम ने कहा, “मैं आश्चर्यचकित हूं। मैं बहुत आभारी हूं कि जजों ने ‘नाइन यार्ड साड़ी’ में योग्यता देखी। मैंने यह यह कहानी अपने दिवंगत पिता की देखभाल करने के दौरान लिखी थी।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे उम्मीद है कि अब ज्यादा ज्यादा लेखक लघु कथा के साथ नए-नए प्रयोग करेंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस प्रारूप के जरिए एक ही रचना में इतने सारे परिप्रेक्ष्यों और संदर्भों में गोता लगाने का मौका मिलता है। यह बहुत खुशी की बात है।”मंगलवार को विक्टोरिया थिएटर में एक समारोह में कवि सिरिल वोंग के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पैनल ने बताया कि प्रशांति राम की यह कहानी कुशल, आश्वस्त, कभी-कभी हास्यपूर्ण और  प्रभावित करने वाला था। इसने प्रशांति को एक स्पष्ट दृष्टि वाला के तौर पर वर्णित किया है।

इंग्लिश क्रिएटिव नॉन फिक्शनका पुरस्कार भारतीय मूल की कलाकार शुबिगी राव को मिला। उन्हें यह पुरस्कार उनकी ‘पल्प III: एन इंटिमेट इन्वेंटरी ऑफ द बेनिश्ड बुक’ (2022) के लिए दिया गया। शुबिगी राव ने अपनी जीत का श्रेय प्रतिभाशाली महिलाओं दिया। उन्होंने कहा कि सेंसरशिप, प्रतिबंध, जलाना और फंडिंग के हर कृत्य के साथ हम हद से ज्यादा गरीब हो गए।

सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी डेब्यू का पुरस्कार 91 वर्षीय नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के एमेरिटस प्रोफेसर पीटर एलिंगर को मिला। उन्होंने यह पुरस्कार अपनी किताब डाउन मेमरी लेन: पीटर एलिंगर्स मेमोइर के लिए जीता। इसी के साथ वह सिंगापुर साहित्य पुरस्कार जीतने वाले सबसे उम्रदराज विजेता बन गए। उनकी यह किताब उनके जीवन पर आधारित है। इसमें 20वीं सदी की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का भी जिक्र है।

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