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भारतीय नौसेना फरवरी में करेगी ‘मिलन 2026’ का आयोजन, अमेरिका और रूस सहित 55 देश होंगे शामिल

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना अगले वर्ष फरवरी में अपना सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास मिलन-2026’ आयोजित करने जा रही है। यह आयोजन भारत के सामरिक और समुद्री सहयोग को नई ऊंचाई देने वाला साबित होगा। इस अंतरराष्ट्रीय अभ्यास में अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन सहित 55 देशों की नौसेनाएं हिस्सा लेंगी।

‘मिलन’ भारतीय नौसेना का फ्लैगशिप बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास है, जिसकी शुरुआत 1995 में हुई थी। इसे हर दो वर्ष में आयोजित किया जाता है। आने वाला संस्करण — ‘मिलन-2026’ — अब तक का सबसे बड़ा और रणनीतिक रूप से सबसे व्यापक अभ्यास माना जा रहा है। यह आयोजन विशाखापट्टनम में होगा, जहां भारतीय नौसेना का पूर्वी नौसैनिक कमान मुख्यालय स्थित है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस बार अभ्यास में समुद्री सुरक्षा, एंटी-पाइरेसी, एंटी-सबमरीन ऑपरेशन, हवाई समन्वय, मानवीय सहायता और आपदा राहत जैसे विषयों पर संयुक्त अभ्यास, सिमुलेशन और सामरिक प्रदर्शन शामिल होंगे। अभ्यास का उद्देश्य मित्र देशों की नौसेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी यानी पारस्परिक संचालन क्षमता को मजबूत करना है।

पिछले संस्करण ‘मिलन-2024’ में 46 देशों ने भाग लिया था, जबकि इस बार भागीदारी बढ़कर 55 देशों तक पहुंच रही है — यह भारत की बढ़ती वैश्विक समुद्री कूटनीति और सामरिक विश्वसनीयता का संकेत है।

एक वरिष्ठ नौसेना अधिकारी ने बताया कि ‘मिलन-2026’ के दौरान समुद्री अभ्यासों के अलावा इंटरनेशनल नेवल सेमिनार और डिफेंस इंडस्ट्री प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में समुद्री प्रौद्योगिकी, ब्लू इकोनॉमी और समुद्री व्यापार सुरक्षा जैसे विषयों पर चर्चाएं होंगी।

भारत इस अभ्यास के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका को और अधिक सशक्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। अधिकारी ने बताया कि “मिलन-2026 भारत के ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region) विजन को मूर्त रूप देने का एक प्रमुख अवसर होगा।”

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह आयोजन न केवल भारत की नौसैनिक क्षमता का प्रदर्शन करेगा, बल्कि बदलते वैश्विक समीकरणों में भारत की कूटनीतिक स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा।

फरवरी 2026 में होने वाला यह आयोजन भारत के समुद्री इतिहास में एक और मील का पत्थर साबित होगा — जहां भारतीय नौसेना, अपने मित्र देशों के साथ मिलकर शांति, स्थिरता और सुरक्षा के साझा उद्देश्य को आगे बढ़ाएगी।

 

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