हैदराबाद। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, उनका शपथ ग्रहण समारोह जुबिली हिल्स विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के बीच होने के कारण राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है। विपक्षी दलों ने इसे “आचार संहिता का उल्लंघन” बताते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज की है।
अजहरुद्दीन, जो हैदराबाद के जुबिली हिल्स क्षेत्र से राजनीति में सक्रिय हैं, को मुख्यमंत्री की कैबिनेट में शामिल किया गया है। उन्हें राज्य सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण और खेल विभाग की जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
मुख्यमंत्री कार्यालय में हुए शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से शिकायत की। विपक्ष का कहना है कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी उम्मीदवार या क्षेत्र विशेष से जुड़े नेता को मंत्री बनाना मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश है।
राज्य भाजपा अध्यक्ष ने कहा, “अजहरुद्दीन का जुबिली हिल्स क्षेत्र से प्रत्यक्ष जुड़ाव है, ऐसे में शपथ ग्रहण का समय संदिग्ध है। सरकार जानबूझकर इस कदम से राजनीतिक लाभ लेना चाहती है।”
कांग्रेस ने किया बचाव
वहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए खारिज किया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि अजहरुद्दीन को उनके लंबे सार्वजनिक योगदान और खेल क्षेत्र में उपलब्धियों के कारण मंत्री बनाया गया है। “उनका शपथ ग्रहण एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, चुनावी रणनीति नहीं,” प्रवक्ता ने कहा।
अजहरुद्दीन बोले – “सेवा का नया अध्याय”
मंत्री पद की शपथ लेने के बाद अजहरुद्दीन ने कहा कि वे राज्य के युवाओं और खिलाड़ियों के विकास के लिए समर्पित रहेंगे। “यह मेरे जीवन का नया अध्याय है। मैं चाहता हूं कि खेलों में नई प्रतिभाओं को मंच मिले और राज्य खेलों में अग्रणी बने,” उन्होंने कहा।
क्रिकेट से राजनीति तक
गौरतलब है कि मोहम्मद अजहरुद्दीन भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने 90 के दशक में कई महत्वपूर्ण जीत दर्ज की थीं। राजनीति में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर प्रवेश किया था और लंबे समय से पार्टी संगठन से जुड़े हुए हैं।
चुनाव आयोग की नजर
उधर, चुनाव आयोग ने विपक्ष की शिकायत को संज्ञान में लिया है और कहा है कि मामले की समीक्षा की जाएगी। आयोग यह देखेगा कि क्या मंत्री पद की शपथ मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है या नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजहरुद्दीन की कैबिनेट में एंट्री कांग्रेस के लिए रणनीतिक कदम है, जिससे पार्टी मुस्लिम और युवा मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रही है। हालांकि, शपथ ग्रहण का समय इस फैसले को विवादों के घेरे में ले आया है।


