वॉशिंगटन/नई दिल्ली।
अमेरिकी वीजा नीतियों में सख्ती और बढ़ती अनिश्चितता का असर अब अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थानों पर गहराई से दिखने लगा है। भारतीय छात्रों के बड़े पैमाने पर पलायन ने विश्वविद्यालयों की नींव हिला दी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों का नामांकन 70 प्रतिशत तक घट गया है, जिससे संस्थानों को आर्थिक और शैक्षणिक दोनों मोर्चों पर गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले एक दशक में भारतीय छात्र अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों का सबसे बड़ा समूह रहे हैं। लेकिन इस वर्ष वीजा इंटरव्यू स्लॉट में भारी देरी, बार-बार रिजेक्शन और जटिल इमीग्रेशन नीतियों के चलते बड़ी संख्या में छात्र अमेरिका की जगह कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के अन्य देशों की ओर रुख कर रहे हैं।
फॉल सेशन के लिए कई विश्वविद्यालयों ने ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की है। कुछ संस्थानों में इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस जैसे लोकप्रिय कोर्सों में सीटें लगभग खाली रह गई हैं।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय छात्र विश्वविद्यालयों के लिए सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि आर्थिक आधार भी हैं। अधिकतर अमेरिकी विश्वविद्यालयों की आय संरचना अंतरराष्ट्रीय छात्रों की ट्यूशन फीस पर निर्भर होती है। ऐसे में भारतीय छात्रों के कम होने से कई विश्वविद्यालयों को बजट में भारी कटौती करनी पड़ रही है। कुछ संस्थानों ने फैकल्टी भर्ती रोक दी है, जबकि कुछ कोर्सों को अस्थायी रूप से बंद करने की तैयारी है।
अमेरिकी उच्च शिक्षा परिषद ने भी स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि यदि वीजा प्रक्रियाओं को सरल नहीं किया गया, तो अमेरिका की वर्षों पुरानी “ग्लोबल एजुकेशन डेस्टिनेशन” की पहचान कमजोर पड़ सकती है। परिषद का मानना है कि वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर टेक्नोलॉजी इनोवेशन तक, भारतीय छात्रों ने अमेरिकी शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
भारतीय छात्रों के लिए बढ़ाई गई बाधाओं का असर भारत में भी महसूस किया जा रहा है। शैक्षणिक सलाहकारों के अनुसार, इस वर्ष पहली बार अमेरिका की बजाय यूरोप और कनाडा के लिए शिक्षा वीजा आवेदन दोगुने से अधिक बढ़े हैं। छात्रों का कहना है कि अन्य देशों में वीजा प्रक्रिया तेज, सरल और किफायती है, साथ ही नौकरी के अवसर भी स्थिर हैं।
अमेरिकी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि यह रुझान जारी रहा तो आगामी वर्षों में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा का केंद्र अमेरिका से हटकर अन्य देशों की ओर स्थानांतरित हो सकता है। वर्तमान परिस्थितियाँ बताती हैं कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों के लिए भारतीय छात्रों का पलायन सिर्फ एक अस्थायी झटका नहीं, बल्कि एक गहरा और संरचनात्मक संकट बनकर उभर रहा है।





