Saturday, July 27, 2024

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भारतवंशी राष्ट्रपति ने बंद की पश्चिम की बोलती

गुयाना के भारतवंशी राष्ट्रपति इरफान अली ने पर्यावरण संरक्षण पर पश्चिम के पाखंड को लेकर जोरदार प्रहार किया है। बीबीसी को दिए साक्षात्कार में अली ने कहा कि गुयाना जैसे देश तेल-गैस खनन करते हैं, तो इससे पर्यावरण का विनाश होता है, जबकि पश्चिम के इसी काम को विकास कहा जाता है। इस पाखंड को अब बंद करना चाहिए।  बीबीसी के पत्रकार स्टीफन सैकुर ने साक्षात्कार के दौरान भारतवंशी अली से गुयाना के तटीय क्षेत्र में तेल और गैस खनन की योजना को लेकर सवाल किया कि इससे करीब 200 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन होगा। वह अपना सवाल पूरा करते इससे पहले ही अली ने फटकार लगाते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर उन्हें उपदेश देने का कोई हक नहीं रखते हैं। पश्चिम को तो गुयाना जैसे देशों से यह सीखना चाहिए कि प्रकृति और पर्यावरण को कैसे बचाया जाता है। उन्होंने कहा कि आप (बीबीसी) उन लोगों (पश्चिमी देशों) की जेब में हैं, जिन्होंने औद्योगिक क्रांति के नाम पर पर्यावरण को क्रूरता से नष्ट किया और इसे विकास का नाम दिया है।  गुयाना के जंगल की बात पर सैकुर ने सवाल किया कि क्या इससे गुयाना को कार्बन उत्सर्जन का अधिकार मिल जाता है। इसके जवाब में अली ने कहा कि क्या हमारे उत्सर्जन करने से आपको (पश्चिम) हमें जलवायु परिवर्तन पर उपदेश देने का अधिकार मिल जाता है। नहीं, बल्कि पश्चिम को हमसे उपदेश लेना चाहिए, क्योंकि हमने इन जंगलों को बचाए रखा है, जो 19.5 गीगाटन कार्बन स्टोर करते हैं। इनका पश्चिम और पूरी दुनिया आनंद ले रही है, जिसके बदले गुयाना को फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती है।

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