बेंगलुरु।
कर्नाटक की राजनीति इन दिनों एक नए विवाद में घिर गई है। बेंगलुरु की एक जेल से सामने आए वीडियो ने प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। वीडियो के वायरल होने के बाद विपक्षी भाजपा ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आवास का घेराव किया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।
सूत्रों के अनुसार, सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में जेल के अंदर कुछ बंदियों को विशेष सुविधाओं और मोबाइल फोन के इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है। विपक्ष का आरोप है कि यह सब कुछ जेल प्रशासन और सत्ता पक्ष के संरक्षण में हो रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि यह वीडियो सरकार की कानून-व्यवस्था पर सीधा सवाल खड़ा करता है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने प्रदर्शन के दौरान कहा, “राज्य की जेलें अपराधियों के लिए ‘वीआईपी रेस्ट हाउस’ बन गई हैं। सत्ता पक्ष के प्रभावशाली लोगों को जेल में हर तरह की सुविधा दी जा रही है, जबकि आम कैदी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।” उन्होंने मुख्यमंत्री से जांच की मांग करते हुए कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों और संबंधित राजनेताओं पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
इस मुद्दे को लेकर बेंगलुरु और अन्य जिलों में भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। कई स्थानों पर पार्टी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।
वहीं, राज्य सरकार ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि जेल विभाग ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह वीडियो को राजनीतिक रंग देकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।
इस विवाद ने कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा ने ऐलान किया है कि जब तक मामले की न्यायिक जांच नहीं होती, तब तक विरोध जारी रहेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है, खासकर तब जब कानून-व्यवस्था पहले से ही विपक्ष के निशाने पर है।
जेल वीडियो प्रकरण फिलहाल कर्नाटक की सियासत का नया केंद्र बन गया है — जहां एक ओर भाजपा इसे भ्रष्टाचार और कुप्रशासन का प्रतीक बता रही है, वहीं सरकार इसे साजिश और राजनीतिक नाटक करार दे रही है।





