नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने संगठन और प्रचार के स्तर पर अपनी रणनीति को और धारदार बना दिया है। भाजपा नेतृत्व अति-आत्मविश्वास से बचते हुए अब मतदाताओं तक सीधा संपर्क बढ़ाने की दिशा में सक्रिय हो गया है। इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने खुद मोर्चा संभाल लिया है और संगठन से लेकर प्रचार अभियान तक की बारीक समीक्षा शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाओं के बल पर भाजपा को कई क्षेत्रों में मजबूत स्थिति का अनुमान है, लेकिन पार्टी नेतृत्व किसी भी प्रकार की ढिलाई या अति-आत्मविश्वास से बचना चाहता है। अमित शाह और नड्डा ने हाल के दिनों में कई राज्यों के पार्टी प्रभारी, मुख्यमंत्री और संगठन पदाधिकारियों के साथ लगातार बैठकें की हैं, जिनमें बूथ प्रबंधन, प्रत्याशी चयन और जनसंपर्क अभियानों की प्रगति का आकलन किया गया।
जानकारी के अनुसार, अमित शाह ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि “चुनाव जीतने की गारंटी मेहनत से आती है, माहौल से नहीं।” उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे घर-घर संपर्क अभियान पर जोर दें और सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाएं। वहीं, नड्डा ने संगठन को चेताया कि आत्मसंतुष्टि सबसे बड़ी गलती होगी और विपक्ष को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए।
भाजपा के अंदर चल रही बैठकों में यह भी तय हुआ है कि अब प्रचार का केंद्रबिंदु “मजबूत भारत, स्थिर सरकार और विकास का संकल्प” रहेगा। इसके साथ ही एनडीए के सहयोगी दलों को भी क्षेत्रों में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया गया है ताकि गठबंधन की एकजुटता स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा का यह सतर्क रुख उस राजनीतिक संदेश का हिस्सा है जिसमें पार्टी यह दिखाना चाहती है कि जीत को सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर संगठन मजबूत और तैयार है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अमित शाह और जे.पी. नड्डा की संयुक्त रणनीति न केवल एनडीए को एकजुट बनाए रखने में मदद करेगी बल्कि विपक्षी गठबंधन के संभावित प्रभाव को भी सीमित करने का प्रयास करेगी।





