महागठबंधन की रणनीति— महिला व लवकुश समीकरण को साधकर तोड़ना जदयू का कोर वोट बैंक
पटना। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में महिला वोट बैंक को लेकर सियासी मुकाबला तेज हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे मजबूत वोट आधार — महिला वर्ग और लवकुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण को तोड़ने के लिए राजद नेता तेजस्वी यादव ने अब दोहरा हमला बोला है।
महागठबंधन इस बार सत्ता की जंग जीतने के लिए नए सामाजिक समीकरण गढ़ने में जुटा है। बीते चुनाव में मामूली अंतर से सत्ता से बाहर हुए तेजस्वी यादव अब महिलाओं और युवाओं पर केंद्रित राजनीति कर रहे हैं।
पहले चरण में राजद ने टिकट वितरण में बड़ा बदलाव करते हुए 24 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है — जो कि जदयू के 13 टिकटों से लगभग दोगुना है। अब दूसरे चरण में तेजस्वी ने करीब दो लाख जीविका दीदियों को लुभाने के लिए बड़ा एलान किया है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने पर जीविका दीदियों को स्थायी किया जाएगा और उन्हें प्रति माह ₹30,000 वेतन दिया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम नीतीश कुमार की “महिला सशक्तिकरण राजनीति” को सीधी चुनौती है। बिहार में बीते एक दशक में महिला वर्ग एक निर्णायक “सशक्त वोट बैंक” बन चुका है। पंचायत चुनावों में 50% आरक्षण, सरकारी नौकरियों और छात्राओं के लिए योजनाओं के कारण यह वर्ग जदयू के साथ मजबूती से खड़ा रहा है।
महिलाओं के साथ-साथ तेजस्वी यादव की रणनीति युवा मतदाताओं को भी आकर्षित करने की है। वह पहले ही हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा कर चुके हैं। अब उन्होंने संविदा कर्मियों को नियमित करने का भी वादा किया है। पार्टी को उम्मीद है कि इन घोषणाओं से युवाओं में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी का असर कम होगा।
चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने महिला वर्ग को साधने के लिए कई कदम उठाए थे। उन्होंने सीएम महिला स्वरोजगार योजना के तहत 1.21 करोड़ महिलाओं को ₹10,000 की आर्थिक सहायता, सामाजिक न्याय पेंशन में ₹700 की बढ़ोतरी और जीविका दीदियों के मानदेय में इजाफा किया।
इसके जवाब में तेजस्वी ने “माई बहन योजना” की घोषणा की है, जिसके तहत महागठबंधन की सरकार बनने पर महिलाओं को प्रति माह ₹2,500 की सहायता राशि देने का वादा किया गया है।
तेजस्वी की घोषणाओं पर भाजपा ने तीखा प्रहार किया है। पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “तेजस्वी यादव जनता को अव्यावहारिक वादों से गुमराह कर रहे हैं। उनके वादे बिहार के बजट से कई गुना अधिक खर्च की मांग करते हैं। यह जनता के साथ एक क्रूर मजाक है।” उन्होंने कहा कि महागठबंधन की नीयत पर जनता को सवाल उठाना चाहिए।
वहीं, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान को महागठबंधन की टूट का संकेत बताया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यह नैतिक जिम्मेदारी थी कि वे मिलकर मतभेद दूर करें। लेकिन उनकी चुप्पी दिखाती है कि कांग्रेस और राजद में गंभीरता की कमी है।”
चिराग ने दावा किया कि, “14 नवंबर के बाद बिहार में एनडीए ही सरकार बनाएगा।”
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, तेजस्वी यादव की हालिया घोषणाएं सीधे तौर पर नीतीश कुमार के महिला और लवकुश समीकरण पर निशाना हैं। यदि राजद महिलाओं और युवाओं का एक बड़ा हिस्सा अपने पक्ष में कर पाता है, तो यह जदयू के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने वाला कदम साबित हो सकता है।
बिहार चुनाव में तेजस्वी का बड़ा दांव: नीतीश के महिला वोट बैंक पर दोहरा हमला — जीविका दीदियों को स्थायी करने और ₹30,000 वेतन देने का ऐलान
