अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत के संगठन क्वाड ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की है। मंगलवार को वाशिंगटन में क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में पहलगाम पर हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए इसमें मारे गए 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक के स्वजन के प्रति गहरी संवेदना जताई है।
इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से आग्रह किया गया है कि वे इस हमले के दोषियों को तत्काल सजा दिलाने में मदद करें। भारत की मंशा के विपरीत पहलगाम हमले के संदर्भ में संयुक्त बयान में पाकिस्तान या इसकी तरफ से पोषित आतंकी संगठनों का नाम नहीं लिया गया है और न ही भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले संघर्ष का उल्लेख है।
संयुक्त बयान में कहा गया है, क्वाड सीमा पार आतंकवाद समेत हर तरह के आतंकवाद और किसी भी तरह के अतिवाद की कड़ी निंदा करता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की भी हम बेहद कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। इसमें मारे गए लोगों के स्वजन के प्रति हम गहरी संवेदना जताते हैं और जो लोग घायल हुए हैं उनके जल्द ठीक होने की कामना करते हैं।
हम इस हमले के साजिशकर्ताओं, उन्हें वित्तीय सुविधा देने वालों और संगठनों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए सभी देशों से अंतरराष्ट्रीय कानून व संयुक्त राष्ट्र के संबंधित नियमों के मुताबिक तत्काल कदम उठाने का आह्वान करते हैं।
क्वाड की उक्त बैठक से पहले अपने संबोधन में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहलगाम हमले के बारे में साफ तौर पर कहा था कि भारतीय नागरिकों पर इस तरह का आतंकी हमला आगे होगा तो फिर से जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
जयशंकर ने यह भी उम्मीद जताई थी कि क्वाड के सहयोगी देश सीमा पर आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की संवेदनाओं को समझेंगे।क्वाड के विदेश मंत्रियों ने पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर में चीनी सेना की बढ़ती तैनाती पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
साथ ही स्वतंत्र व खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र और कानून के शासन, संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए क्वाड की दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की। चीन का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम ताकत या दबाव के जरिये यथास्थित बदलने की किसी भी एकतरफा कोशिश के प्रति अपना कड़ा विरोध दोहराते हैं।’
क्वाड के विदेश मंत्रियों ने खासतौर पर खतरनाक एवं उकसावेपूर्ण कार्रवाइयों को रेखांकित किया जिनमें अपतटीय संसाधनों के विकास में हस्तक्षेप, नेविगेशन एवं ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता में बार-बार रुकावट डालना और सैन्य विमानों, तटरक्षक पोतों व समुद्री जहाजों के खतरनाक अभ्यास शामिल हैं।
उन्होंने आर्बिटल ट्रिब्युनल के 12 जुलाई, 2016 के फैसले को लागू करने की जरूरत पर बल दिया। ट्रिब्युनल ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे के विरुद्ध फैसला सुनाया था।
उन्होंने म्यांमार की खराब होती स्थिति पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। क्वाड के विदेश मंत्रियों ने प्रमुख आपूर्ति श्रृंखलाओं, खासकर महत्वपूर्ण खनिजों की अचानक कमी और भविष्य में निर्भरता पर गहरी चिंता जताई। इस संदर्भ में उनका इशारा चीन की नीति की ओर था।
क्वाड की इस बैठक को कुछ महीनों बाद शीर्ष नेताओं की भारत में होने वाली बैठक की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है। इस बैठक में तीन अहम फैसले हुए हैं जो भारत के हितों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेंगे।
प्रौद्योगिकी आधारित अत्याधुनिक उद्योगों में बहुमूल्य धातुओं के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव की घोषणा की गई है। इसका एक मकसद क्रिटिकल मिनरल्स में चीन पर निर्भरता को खत्म करना भी है। इस पहल के तहत चारों देश आपसी साझेदारी से दुनिया में बहुमूल्य धातुओं की खोज करेंगे, उनका दोहन करेंगे और इसके इस्तेमाल की रणनीति बनाएंगे।
दूसरा कदम, क्वाड इंडो-पैसिफिक लाजिस्टिक्स नेटवर्क के तौर पर होगा। इसके तहत सामुद्रिक सुरक्षा को बेहतर बनाने में एक दूसरे की मदद की जाएगी और साथ ही हिंद प्रशांत क्षेत्र के दूसरे देशों को भी मदद दी जाएगी।
तीसरी पहल क्वाड बंदरगाहों की स्थापना को लेकर है। इसे क्वाड देशों के सबसे महत्वाकांक्षी अभियान के तौर पर देखा जा रहा है। इस बारे में इसी वर्ष इन देशों की मुंबई में एक बैठक होगी। इसके तहत कारोबारी व सैन्य उद्देश्यों से ऐसे बंदरगाहों का निर्माण किया जाएगा जिन पर ये देश व इनके साझीदार देश पूरी तरह भरोसा कर सकें।