बांग्लादेश के गोपालगंज जिले में बुधवार को नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) और शेख हसीना की अवामी लीग के समर्थकों के बीच हुई झड़प ने हिंसक रूप ले लिया। इस झड़प में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पैरामिलिट्री फोर्स की चार अतिरिक्त प्लाटून को तैनात किया गया है।
कैसे शुरू हुई हिंसा?
• नवगठित एनसीपी ने गोपालगंज में रैली आयोजित की थी।
• यह क्षेत्र अवामी लीग का मजबूत गढ़ है और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान का गृहजनपद भी।
• रैली से पहले ही अवामी लीग समर्थकों द्वारा कथित तौर पर हमले शुरू हो गए।
• पुलिस के हस्तक्षेप के बाद स्थिति और बिगड़ गई और उन्हें फायरिंग करनी पड़ी।
मृतकों की पहचान
• दीप्तो साहा (25)
• रमजान काजी (18)
• सोहेल मुल्ला (41)
• एक अन्य मृतक की पहचान जारी है
डॉक्टरों के अनुसार, 9 लोग गोली लगने से घायल हैं, जिनका इलाज जारी है।
आरोप और प्रत्यारोप
• एनसीपी नेता नाहिद इस्लाम ने कहा, “अगर न्याय नहीं मिला तो हम खुद न्याय करेंगे।”
• उन्होंने मंच से ही घोषणा की कि वे गोपालगंज को ‘मुजीबवाद’ से मुक्त कराएंगे।
• उन्होंने मुजीब की विरासत को खत्म करने की सार्वजनिक चेतावनी भी दी।
• दूसरी ओर, अवामी लीग पर पुलिस और एनसीपी कार्यकर्ताओं पर लाठी-डंडों से हमला, वाहनों की तोड़फोड़, और रैली स्थल पर हिंसा फैलाने का आरोप है।
सरकार की प्रतिक्रिया
• सरकार ने हिंसा के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
• अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हिंसा की निंदा करते हुए अवामी लीग को जिम्मेदार ठहराया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
• एनसीपी, छात्र राजनीति से उभरे नाहिद इस्लाम की अगुआई में हाल ही में बनी पार्टी है, जो तेजी से ज़मीनी समर्थन जुटा रही है।
• गोपालगंज जैसे अवामी लीग के गढ़ में रैली करना अपने आप में एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा था।
बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर हिंसक टकराव के मोड़ पर आ खड़ी हुई है। गोपालगंज की घटना न सिर्फ राजनीतिक असहिष्णुता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि आगामी चुनावों से पहले देश में राजनीतिक तनाव और हिंसा और तेज हो सकती है। आने वाले दिनों में सरकार की कार्रवाई और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।